ढौंढ, ढंगार, गाढ़, गदेरे पार कर आपदा प्रभावितों तक पहुँचे डीएम;

आपदा की विकट परिस्थिति भी नहीं रोक पाई प्रशासन के हौसले

ढौंढ, ढंगार, गाढ़, गदेरे पार कर आपदा प्रभावितों तक पहुँचे डीएम; ग्रामीण बोले – “आजादी के बाद कोई डीएम आए फुलेत”

देहरादून।, (उत्तराखंड बोल रहा है) सम्पूर्ण उत्तराखण्ड राज्य सहित जनपद देहरादून इस समय भीषण आपदा से गुजर रहा है, जहाँ अनेक इलाके मुख्यालय से कट चुके हैं। जिले के कार्लीगाड, मजाड़, सहस्त्रधारा, मालदेवता, फुलेत, छमरोली, सिमयारा, सिल्ला, सिरोना और क्यारा गांव आपदा की मार झेल रहे हैं।

जिलाधिकारी श्री सविन बंसल ने कार्लीगाड और मजाड़ में रेस्क्यू ऑपरेशन का नेतृत्व किया। मालदेवता रोड पर वाशआउट मार्ग का पुनर्निर्माण और मसूरी में सम्पर्क मार्ग सुचारू करवाने के लिए डीएम लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। जिला प्रशासन युद्धस्तर पर जनजीवन को सामान्य बनाने में जुटा है।

🚶‍♂️ हेली सेवा छोड़ी, चुना पैदल मार्ग

फुलेत, छमरोली, सिल्ला, सिमयारी और क्यारा गांव मुख्यालय से कट जाने के कारण वहाँ तक केवल हेलीकॉप्टर से ही राहत सामग्री पहुँचना संभव था। किन्तु जिलाधिकारी ने हेलीकॉप्टर का विकल्प छोड़, विकट पहाड़ी और नदी-नालों से होते हुए लगभग 12 किलोमीटर पैदल यात्रा कर गांव-गांव का दौरा किया।

उन्होंने खेत-खलिहान और घर-घर जाकर आपदा से हुए नुकसान का जायज़ा लिया। इस दौरान डीएम ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि प्रत्येक प्रभावित परिवार को शीघ्र ही मुआवज़ा और राहत उपलब्ध कराई जाएगी।

👨‍💼 अधिकारियों की अग्रिम तैनाती

डीएम बंसल ने प्रभावित क्षेत्रों में विशेष तहसीलदार, बीडीओ और सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों को अग्रिम आदेशों तक ड्यूटी पर लगाया है। ये अधिकारी मौके पर रहकर क्षति का पूर्ण आकलन करेंगे और मुआवज़ा वितरण की कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे।

ग्रामीणों ने जिलाधिकारी के जज़्बे और संवेदनशीलता की सराहना करते हुए कहा कि “आजादी के बाद पहली बार कोई डीएम हमारे गाँव तक पैदल चलकर पहुँचा है।”