उपनल कर्मियों हेतु गठित विशेषज्ञ समिति न्यायालय के आलोक में करे कार्यवाही: जन संघर्ष मोर्चा

उपनल कर्मियों हेतु गठित विशेषज्ञ समिति न्यायालय के आलोक में करे कार्यवाही: जन संघर्ष मोर्चा

“उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बावजूद नहीं मिल पा रहा कर्मियों को न्याय”
“विशेषज्ञ समिति कब बनाएगी नियमावली, कब मिलेगा कार्मिकों को लाभ?”

देहरादून।  (उत्तराखंड बोल रहा है)जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने उपनल कर्मियों के मुद्दे पर गहरी नाराज़गी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति को न्यायालय के आदेशों के आलोक में त्वरित कार्यवाही करनी चाहिए, ताकि वर्षों से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे उपनल कर्मियों को उनका हक मिल सके।

श्री नेगी ने बताया कि उन्होंने विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष एवं प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु से मुलाकात कर 12 नवम्बर 2018 के माननीय उच्च न्यायालय के आदेश को समिति की रिपोर्ट में विशेष रूप से शामिल करने एवं उपनल कर्मियों के भविष्य को सुरक्षित करने की मांग की। इस पर श्री सुधांशु ने सकारात्मक रुख अपनाते हुए आवश्यक कार्रवाई का भरोसा दिया।

मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने संविदा एवं उपनल कर्मियों के मामलों में 21 जुलाई 2025 को विशेषज्ञ समिति का गठन तो कर दिया, परंतु नियमावली/नीति बनाने की प्रक्रिया अब तक ठप पड़ी है। उन्होंने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 15 अक्टूबर 2024 को सरकार की एसएलपी खारिज किए जाने के बाद भी सरकार ने कर्मचारियों को लाभ देने के बजाय 8 नवम्बर 2024 को रिव्यू पिटिशन दायर कर दी, जो कर्मियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।

नेगी ने सवाल उठाया—

“कब विशेषज्ञ समिति अपनी रिपोर्ट देगी? कब नियमावली बनेगी और कब कर्मियों को लाभ मिलेगा? क्या सरकार इस प्रक्रिया को लंबा खींचकर अपना कार्यकाल पूरा करना चाहती है?”


उन्होंने कहा कि सरकार को सबसे पहले सर्वोच्च न्यायालय में दायर रिव्यू पिटिशन को वापस लेकर, कोर्ट के आदेशों के अनुसार उपनल कर्मियों को नियमितीकरण एवं अन्य लाभ प्रदान करने चाहिए।

मोर्चा अध्यक्ष ने कहा—

“सरकार को यह समझना होगा कि ये अल्प वेतनभोगी कर्मी अपने परिवार का पालन-पोषण बड़ी मुश्किल से करते हैं। दुख की बात यह है कि विधायक अपने वेतन-भत्ते बढ़ाने में एकजुट रहते हैं, लेकिन उपनल कर्मियों की सुध लेने कोई आगे नहीं आता।”


जन संघर्ष मोर्चा ने मांग की कि सरकार उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय दोनों के आदेशों का पालन करते हुए उपनल कर्मियों को न्याय दे, जिससे उनका और उनके परिवारों का भविष्य सुरक्षित हो सके।