जब 24 घंटे में झुकी सत्ता—जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी की जिद के आगे बैकफुट पर आए राज्यपाल!”
विकासनगर। वर्ष 2015 का वह दौर उत्तराखंड की राजनीति के इतिहास में एक यादगार पन्ना बन गया, जब जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी की अडिग जिद और जनता के हक के लिए उनके संघर्ष ने सत्ता के गलियारों में हलचल मचा दी थी।
राज्य में खाद्य सुरक्षा योजना लागू करने, भ्रष्टाचार पर राज्यपाल की मौन स्वीकृति के विरोध और जनहित के मुद्दों पर कार्रवाई की मांग को लेकर नेगी ने सीधे राजभवन का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने राज्यपाल डॉ. के.के. पाल से जनता की समस्याओं पर तुरंत संज्ञान लेने की मांग की, लेकिन जब राजभवन से कोई ठोस जवाब नहीं मिला, तो नेगी ने तहसील परिसर में आमरण अनशन शुरू कर दिया।

यह आमरण अनशन सरकार और प्रशासन के लिए मानो एक चेतावनी बन गया। केवल 24 घंटे के भीतर ही हालात ऐसे बने कि राज्यपाल को बैकफुट पर आना पड़ा। जिलाधिकारी के माध्यम से स्वयं राजभवन की ओर से नेगी को वार्ता के लिए निमंत्रण भेजा गया।
वार्ता के बाद न केवल प्रदेश में खाद्य सुरक्षा योजना तत्काल लागू हुई, बल्कि राज्यपाल डॉ. के.के. पाल ने भी कई लंबित जनहित मामलों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए अपनी कार्यप्रणाली में सुधार के संकेत दिए।
यह ऐतिहासिक घटना इस बात का प्रमाण है कि —
👉 यदि इरादे जनता के लिए हों और संघर्ष सच्चे हक की खातिर हो, तो सत्ता की ऊँची कुर्सियाँ भी झुकने पर मजबूर होती हैं।
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