मुन्ना से दूरी बना रही सरकार या फिर सरकार से दूरी बना रहे मुन्ना !

मुन्ना और सरकार के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा

बीते रविवार को विकासनगर विधानसभा के हरबर्टपुर स्थित ऐतिहासिक मोदी ग्राउंड में सूबे के तेजतर्रार विधायकों में शुमार विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने करीब पौने चार करोड़ की लागत से बनने वाले बस अड्डे के पहले चरण के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया, जो उनके ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल था।

इस बस अड्डे की परिकल्पना उन्होंने वर्ष 2007 में विधायक रहने के दौरान की थी। 2017 में फिर से विधायक बनने पर उन्होंने न केवल भूमि को परिवहन विभाग को ट्रांसफर कराया, बल्कि इसके लिए बजट भी अलोट कराया।

इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री और संबंधित विभाग के मंत्री का ना होना सभी के मन में कौंध रहा है, जबकि विरोधी इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। इससे पूर्व मुन्ना सिंह चौहान ने लांघा रोड स्थित पुल के साथ ही नावघाट में करीब 43 करोड़ की लागत से बनने वाले पुल का शिलान्यास किया। इन दोनों कार्यक्रमों में भी मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्री की दूरियां हैरान करने वाली थीं।

अब तक मुख्यमंत्री नहीं आए विकासनगर

उक्त तीनों विकास कार्य वर्षों से प्रस्तावित थे, जिसका श्रेय लेने की भी होड़ लगी थी। ऐसे में विकास कार्यों के शिलान्यास के दौरान मुख्यमंत्री का न रहना कई तरह के सवालों को जन्म दे रहा है। यह भी सवाल उठ रहा है कि कहीं सरकार मुन्ना से दूरी तो नहीं बना रही है। मुख्यमंत्री को कार्यभार संभाले करीब पांच माह से अधिक का समय हो चुका है। वे प्रदेश के कोने कोने में जाकर विकास कार्यों का शिलान्यास कर रहे हैं, लेकिन राजधानी से महज 45 किलोमीटर दूर विकासनगर विधानसभा पर उनकी नजरें अब तक इनायत नहीं हुई हैं।
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मंडल अध्यक्ष रहे गायब
इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में भाजपा हरबर्टपुर और विकासनगर के शहर व ग्रामीण मंडल के अध्यक्ष नजर नहीं आए, जबकि भाजपा की परिपाटी के अनुसार जिस मंडल में कार्यक्रम होता है, उसमें मंडल अध्यक्ष का रहना जरूरी होता है। भाजपा के एक जिला स्तरीय पदाधिकारी का कहना है कि कार्यक्रम को मुन्ना सिंह चौहान ने निजी कार्यक्रम के रूप में प्रोजेक्ट किया। संगठन से इसे लेकर कोई चर्चा नहीं की गई। उनका कहना है कि कोई भी कार्यक्रम संगठन के साथ बैठकर तय किया जाना चाहिए।
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अपने अप्रत्याशित फैसलों के लिए जाने जाते हैं चौहान

विधायक मुन्ना सिंह चौहान अपने अप्रत्याशित फैसलों और चुनावी गुणा भाग में माहिर माने जाते हैं। उन्होंने वर्ष 2009 में भी अप्रत्याशित फैसला लेते हुए विधायकी को ठोकर मार दी थी। फिर 2017 में पूर्व कैबिनेट मंत्री नवप्रभात को हराकर फिर से विकासनगर के विधायक बने। वे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बेहद करीबी माने जाते हैं।
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