मेहनत के बल पर “महाबल” बनने की कहानी

कभी करते थे 50 रुपए की मजदूरी, आज मेहनत के बल पर मालामाल

4500 फिट की ऊंचाई पर उगाए आम

चकराता से मुकेश जोशी की रिपोर्ट

ब्लॉक अंतर्गत समोग गांव निवासी बागवान महाबल नेगी इन दिनों फलों के राजा आम की विभिन्न प्रजाति के आम की तैयार फसल को देहरादून के फल मंडी में बेचकर मालामाल हों रहें है। आम के अच्छे उत्पादन से वे न केवल अच्छी कमाई कर रहें, बल्कि दूसरे लोगों को भी बागवानी के लिए प्रेरित कर रहें है। महाबल बताते हैं कि कि मैदानी क्षेत्रों के आम की फसल अब पूर्णतः समाप्त हो चुकी है, जिसके कारण उनके आम का मंडी में अच्छा रेट मिल रहा है। बागवान महाबल नेगी ने बताया कि वह कम पढ़े लिखें है। वर्ष 2002 में हिमाचल प्रदेश के रोहडू में सेब के बगानों में काम किया करतें थे, तब उनको मात्र 55 रूपये मजदूरी मिलती थी कहा कि यहाँ उन्होंने पूरी मेहनत और लगन से बागवानी का काम सीखा और वर्ष 2012 में गांव लौट आए और जाखाधार के समीप बंजर पड़ी पैतृक जमीन पर बगीचा लगाने की ठानी और आम की विभिन्न प्रजापति के पहले 750पेड़ लगाए, तब लोगों ने उनका मजाक उड़ाया कि 4500 फिट की ऊंचाई पर आम के पेड़ तो लग जाएंगे लेकिन फल नहीं आएंगे। उन्होंने बताया कि उन्होंने दिन रात दिल जान से मेहनत की और आज परिणाम सामने है उन्होंने बताया कि ठंडा क्षेत्र होने के कारण यहाँ आम अन्य इलाकों की अपेक्षा देरी यानि 15 अगस्त के बाद तैयार होता है, जोकि सितंबर पहले सप्ताह तक चलता है,जिस कारण मंडी में अच्छे दाम मिलते है। उन्होंने बताया कि विगत वर्ष आम की 52 कैरेट का उत्पादन हुआ था, जोकि इस साल 200 कैरेट तक पहुंच गया है कहा कि कुछ पौधों पर इस बार केवल सेम्पल आया। अगले वर्ष और अधिक उत्पादन होने का अनुमान है।

बगीचे में आम की कुल 16 प्रजाति

महाबल नेगी ने बताया कि उनके बगीचे में दशहरी, चौसा,लंगड़ा , आम्रपाली, रत्ना, मल्लिका, मीरा आदि आम के विभिन्न प्रजापति के 750 पेड़ हैं।

दो हेक्टेयर भूमि में 1600 फलदार पेड़, ढ़ाई से तीन हजार पेड़ लगाने का है लक्ष्य

बागवान महाबल नेगी ने बताया कि उनके बगीचे में अब कुल मिलाकर आम, अमरुद, अखरोट, कीवी, आडू, खुमानी, नाशपत्ती, संतरा, नीबू आदि मिलाकर कुल 1600 से अधिक फलदार पौधे है।बताया कि उनका लक्ष्य ढ़ाई से तीन हजार पौधे लगाने का है।

रासायनिक खाद का नहीं करतें प्रयोग

महाबल नेगी ने बताया कि बगीचे में खाली जगह पर जैविक खेती भी करतें हैं। उन्होंने बताया कि खाली जगह पर लौकी,तौरी, टमाटर कद्दू, खीरा, शिमला मिर्च, बींस आदि सब्जी की खेती करते हैं । उन्होंने बताया कि वह अपने बगीचे और सब्जी आदि फसल में रासायनिक खाद, दवाई का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं करतें। वह अपने फलों और सब्जियों को खराब होने से बचाने के लिए गोमूत्र में विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटी डालकर स्वयं जैविक दवाई तैयार कर उसका झिड़काव करतें है।