बाबूगढ़, विकासनगर में उत्तराखंड क्रांति दल के द्वारा केंद्रीय संरक्षक सुरेंद्र कुकरेती जी की गरिमामयी उपस्थिति में तीसरी नुक्कड़सभा की गयी सभा की अध्यक्षता अनिल भट्ट जी ने की, कार्यक्रम संयोजक अमरावती नेगी व रेखा थपलियाल रहे l
सभा को संबोधित करते हुए सुरेंद्र कुकरेती ने कहा कि कुकरेती ने कहा की 8 अगस्त 1950 और 6 सितंबर 1950 को राष्ट्रपति द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई थी, जिसे वर्ष 1961 में गजट अधिसूचना के अंतर्गत प्रकाशित किया गया। इस अधिसूचना में भारत के नागरिकता संबंधी प्रावधानों को स्पष्ट किया गया था, जिसमें यह निर्धारित किया गया कि 1950 से जो व्यक्ति जिस राज्य में निवास कर रहा है, वह उसी राज्य का मूल निवासी माना जाएगा। इस अधिसूचना में मूल निवास की परिभाषा को विस्तारपूर्वक व्याख्यायित किया गया था, साथ ही मूल निवास की अवधारणा को भी स्पष्ट रूप से समझाया गया था।

कुकरेती ने कहा कि उत्तराखंड क्रांति दल वर्तमान सरकार से मांग करता है की वह भू-कानून और मूल निवास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भ्रामक जानकारी फैलाकर प्रदेश की जनता को भ्रमित न करें। दल ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश में जल्द से जल्द 1950 के आधार पर मूल निवास की नीति और हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सशक्त भू-कानून लागू किए जाने चाहिए। इससे प्रदेश के मूल निवासियों के अधिकारों और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा होगी, बेरोजगारी की समस्या से युवा पीढ़ी को राहत मिलेगी, और महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकेगा।
श्री कुकरेती ने कहा कि उत्तराखंड के गठन के समय, वर्ष 2000 में राज्य में कृषि योग्य भूमि का कुल क्षेत्रफल 7.70 लाख हेक्टेयर था। लेकिन अब, वर्ष 2024 तक, यह क्षेत्रफल घटकर मात्र 5.68 लाख हेक्टेयर रह गया है। इसका अर्थ है कि राज्य में कुल 27 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि का ह्रास हो चुका है। यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि राज्य के विकास के नाम पर की गई विभिन्न योजनाओं और अवसंरचनात्मक परियोजनाओं ने कृषि भूमि पर गहरा प्रभाव डाला है।

राज्य गठन के बाद से अब तक, 2.02 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि कंक्रीट के जंगलों में परिवर्तित हो चुकी है। कुछ सरकारी भू माफिया है और कुछ सरकार द्वारा पोषित भू माफिया है जिस तरह से बाहरी राज्यों से आकर भूमाफियाओं ने उत्तराखंड में आकर अपना कब्जा जमाया है यदि यही स्थिति बदस्तूर रही तो यह निश्चित है कि आने वाले समय में कृषि भूमि से उत्तराखंड कृषि भूमि हीन हो जाएगा। इस स्थिति को राज्य के लिए एक गंभीर चेतावनी बताते हुए कहा कि यदि इस पर शीघ्र नियंत्रण नहीं किया गया, तो उत्तराखंड अपनी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था और पर्यावरणीय संतुलन को खो देगा, जो इसके भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा साबित होगा।
कुकरेती ने कहा कि इस राज्य की स्थापना हम सभी ने एकजुट होकर की थी, और अब इसे संरक्षित और सशक्त बनाना हमारी सामूहिक नैतिक जिम्मेदारी है।
कुकरेती ने सभी से आग्रह किया कि वे 24 अक्टूबर को उत्तराखंड क्रांति दल द्वारा आयोजित रैली में अवश्य शामिल हों, जो भू-कानून, 1950 के आधार पर मूल निवास और हिमाचल की तर्ज पर धारा 371 के समर्थन में हो रही है। उन्होंने इसे प्रदेश के भविष्य और अधिकारों की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
जिला महामंत्री मायाराम ममगईं ने संबोधित करते हुए कहा की अब समय आ गया है एकजुट होने का, जिस प्रकार आप लोगों ने राज्य निर्माण आंदोलन के समय उत्तराखंड क्रांति दल का साथ दिया था इस तरह आज इस राज्य को बचाने के लिए उत्तराखंड क्रांति दल का साथ दे।
इस मौके पर विभिन्न वक्ताओं ने अपनी अपनी बातें रखी और सभी ने एकमत और एक सुर में मूल निवास एवं भू कानून को लेकर होने वाली रैली में भारी संख्या में भाग लेने सहमति जताई।
इस मौके पर जिला महामंत्री मायाराम ममंगाई, सुरेंद्र सिंह नेगी, वाचस्पति उनियाल, धर्मानंद सेमवाल, सम्पत्ति देवी, दमयंती भट्ट, अनीता चौधरी, रैशनी रावत, सुमन गैरोला, पूनम थपलियाल, विमल नेगी, सुशीला नेगी, प्रभावती शर्मा, वंदना थपलियाल, संध्या नेगी, श्यामा रावत, आशा पवार, नर्मदा पुंडीर, शकुंतला रावत, सुमेधा भट्ट, कमला भट्ट, दिनेश चंद्र सेमवाल, उर्मिला थपलियाल, हेमलता भट्ट आदि सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे l