चकराता स्थित जिला पंचायत के डाक बंगले को निजी हाथों में सौंप जाने के विरोध में जिलाधिकारी को लिखा पत्र
30 नवंबर 2024 को जिला पंचायत का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. उसके एक दिन पहले यानी 29 नवंबर 2024 को चकराता स्थित जिला पंचायत के डाक बंगले को किसी चहेते को सौंपने का निर्णय लेकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया जाएगा। जौनसार बावर के केंद्र में स्थित चकराता डाक बंगला जौनसार बावर की एक धरोहर व पहचान है, अंततः उसको भी ग्रहण लग ही गया.
आप सभी की जानकारी के लिए आपको बताते चलें कि इससे पूर्व लखवाड़ डाक बंगला और उससे लगी संपूर्ण बेशकीमती भूमि एवं चौरानी स्थित डाक बंगले की संपूर्ण भूमि औने -पौने दामों में चहेतों व रिश्तेदारों को सौंपी जा चुकी है। नागथात स्थित बंगला भी एक प्रस्ताव के माध्यम से लगभग तीन पांच होने ही वाला है। हद तो तब हुई जब लखवाड़ बंगले पर पहले लाखों रुपये पंचायत के खर्च किये गये फिर वहां के लिये लगभग 4 करोड़ सरकारी धन खर्च कर एक “राष्ट्रीय राज मार्ग ” निर्मित किया गया, उसके बाद किसी चहेते को बंगला थाली मे परोस कर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया। इसकी खुली बोली कराते तो जौनसार तो क्या लखवाड़ मे ही इसके कई खरीददार मिल जाते, जिनका हक भी बनता था। ऐसा भी प्रतीत होता है कि ये सभी मुखौटे हैं,मदारी कोई और ही है।
नवीन चकराता टाउनशिप की स्वीकृति होने के बाद इस क्षेत्र में भूमि 50 लाख से 2 करोड रुपए प्रति बीघा की दर से भी मिलनी मुश्किल है! चकराता के इस बंगले के साथ लगी हुई कई करोड़ की भूमि को भी ठिकाने लगाने की भूमिका बन चुकी है! जिला पंचायत अध्यक्ष के मेरे कार्यकाल में चकराता के इस बंगले को तोड़कर नयी तरह से निर्मित किया गया था , उसके बाद इस बंगले की रिपेयरिंग के नाम पर इतना पैसा डकारा गया, जिससे कि ऐसे दो नये बंगले बनाये जा सकते थे। पंचायत के लिये संपत्तियां खरीद कर आय के साधन जुटाने के बजाय जौनसार बावर मे स्थित इन बेशकीमती संपत्तियों को खुर्द- बुर्द करना विकास का ये नायाब तरीका जौनसार बावर मे ही देखने को मिल रहा है।