विकास के नाम पर सहसपुर की जनता को मिला सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लॉट
प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनावों के लिये राजनैतिक दलों के बीच रस्साकशी शुरू हो चुकी है। ऐसे में तमाम दावेदार अपने-अपने क्षेत्रों में चुनावी तैयारियों में जुटे हुए हैं। वहीं राजनैतिक दलों के लिये विधानसभा चुनावों में कुछ सीटें सरल हैं, तो कुछ सीटें गर्म दूध के समान बनी हुई हैं। ऐसी ही एक सीट देहरादून जिले में सहसपुर की भी है, जो हमेशा से विधानसभा चुनावों में पछवादून की हॉट सीट मानी जाती है, लेकिन इस बार सहसपुर विधानसभा सीट पर उथल पुथल मची हुई है, जो राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रही है। दरअसल मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर कांग्रेस हमेशा से मजबूत तो बहुत रही है, लेकिन धड़ेबाजी और आपसी कलह के चलते ये सीट आसानी से उपहार स्वरूप भाजपा की झोली में चली जाती है, इसी वजह से भाजपा से लगातार दो बार यहाँ से सहदेव सिंह पुंडीर विधायक चुने गये हैं।
पुंडीर की काबिलियत पर उठ रहे सवाल
लोगों का मानना है कि सहदेव सिंह पुंडीर अपनी काबिलियत से नहीं बल्कि दोनों बार कांग्रेस की फूट के कारण विधायक बने हैं और आंकड़े इस बात का गवाह हैं। लेकिन कारण जो भी रहे हो सहसपुर सीट से दो बार सहदेव सिंह पुंडीर को जनता के दिल में उतरने का मौका मिला, लेकिन वह जनता की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाये, लिहाजा अब सहदेव सिंह पुंडीर की काबिलियत पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं, बड़ी उपलब्धी के नाम पर उनकी पोटली खाली है। हालात ये हैं की दस साल के बड़े कार्यकाल के बावजूद क्षेत्र में जनता ही नहीं बल्कि पार्टी के कार्यकर्ता भी उनसे खासे नाराज हैं।
चौतरफा है विरोध
ये नाराजगी इस लिये भी है की पहले पाँच साल में तो कांग्रेस की सरकार रही जिसके चलते भाजपा विधायक के कार्य नहीं हो पाये लेकिन इन पाँच सालों में भाजपा की मजबूत डबल इंजन सरकार होने के बावजूद जनता के कार्य नहीं हो पाए। उल्टा विधान सभा के लोगों को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लॉट यानी कूड़ाघर थोप दिया गया। जिसके कारण जनता में नाराजगी कुछ ज्यादा ही है। यही वजह भी है कि सहसपुर सीट के तमाम इलाकों में सहदेव सिंह पुंडीर का विरोध देखने को मिल रहा है।
नवीन ठाकुर की सक्रियता बढ़ाएगी दिक्कत
लोगों का मानना है की इन दस सालों में छोटे मोटे कार्यों के अलावा कोई बड़ी उपलब्धी उनकी नहीं रही। हालांकि सहदेव पुंडीर को लाभ इस बात का भी मिलता रहा है कि कांग्रेस में सहसपुर में नेताओं की भरमार रही है और भाजपा से वह एकमात्र मजबूत विकल्प रहे हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब राजनीतिक समीकरण अलग हैं। लंबे समय से भाजपा प्रदेश प्रवक्ता नवीन ठाकुर की सहसपुर सीट पर सक्रियता और उनका एक मजबूत युवा नेता के तौर पर उभर कर आना सहदेव सिंह पुंडीर के लिये मुश्किल खड़ी कर रहा है।
भाजपा बदल सकती है चेहरा!
सूत्रों की माने तो इस बार शीर्ष नेतृत्व भी सहसपुर सीट पर चेहरा बदलने के मूड़ में है। युवा मुख्यमंत्री, युवा सरकार का नारा भी नवीन ठाकुर की उम्मीदों को बल दे रहा है। नवीन मजबूती के साथ अपनी दावेदारी भी रख रहे हैं। शीर्ष नेतृत्व भी चुनावों में युवाओं को वरीयता देने की बात कह चुका है। जिला पंचायत सदस्य राजेश बलूनी ने भी टिकट को लेकर ताल ठोक रहे हैं। वे अपने जिला पंचायत क्षेत्र में वे युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। चुनाव को देखते हुए उन्होंने अपने सक्रियता बढ़ाई है। उनका सबसे बड़ा ड्रॉ-बैक यह है कि उन्होंने सक्रियता बढ़ाने में कुछ देर कर दी। ऐसे में साफ है कि भाजपा ने सहसपुर सीट से प्रत्याशी नहीं बदला तो बड़ा खामियाजा पार्टी को यहाँ भुगतना पड़ सकता है।