मूल विभाग को भेजा वापस
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana – PMGSY) जैसे महत्वपूर्ण योजना में घोर उदासीनता और प्रशासनिक अनुशासन की धज्जियाँ उड़ाने पर एस.एन. सिंह (S.N. Singh), मुख्य अभियंता, पीएमजीएसवाई, कुमाऊँ क्षेत्र, अल्मोड़ा को उनके मूल विभाग सिंचाई विभाग (Irrigation Department) में वापस भेज दिया गया है। यह कार्रवाई सचिव ग्राम्य विकास (Secretary, Rural Development) के निर्देश पर यू.आर.डी.ए (URDA) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री हिमांशु खुराना (Himanshu Khurana) द्वारा की गई है।
पीएमजीएसवाई के तहत हो रहे कार्यों की गुणवत्ता पर लगातार शिकायतें सामने आ रही थीं, लेकिन मुख्य अभियंता की ओर से न कोई ठोस कदम उठाया गया, न ही अधीनस्थ अधिकारियों पर कोई सख्त निगरानी रखी गई। न पर्यवेक्षण में गंभीरता दिखाई दी, न मुआवज़ा वितरण जैसी ज़रूरी प्रक्रिया में तेज़ी आई। जब पूरा तंत्र सुस्त पड़े और ज़िम्मेदार आंख मूंदकर बैठा हो, तो सख्त कार्रवाई ही एकमात्र रास्ता बचता है। यही वजह रही कि शासन ने सख्त रुख अपनाते हुए एस.एन. सिंह को उनके पद से हटाने का निर्णय लिया।
अभी के लिए, पीएमजीएसवाई वृत्त, ज्योलीकोट (Jolikot) के अधीक्षण अभियंता को कुमाऊँ क्षेत्र के मुख्य अभियंता का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है, जब तक कि आगे के आदेश जारी न हो जाएं।
लेकिन यह कार्रवाई केवल शुरुआत है। दन्या-आरा-सल्पड़ (Danya-Ara-Salpud) मोटर मार्ग की बदहाल स्थिति और घटिया निर्माण कार्यों पर भी शिकंजा कस दिया गया है। इस मार्ग पर शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कदम न उठाने के चलते विनोद कुमार (Vinod Kumar), अधीक्षण अभियंता, ज्ञानेश चंद्र उपाध्याय (Gyanesh Chandra Upadhyay), प्रभारी अधिशासी अभियंता, और के.एन. सती (K.N. Sati), सहायक अभियंता को कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी किया गया है।
इतना ही नहीं, एम.आर.एल 18 कसियालेख-बुदिबाना-सूपी (Kasiyalekh-Budibana-Supi) मोटर मार्ग की गुणवत्ता को लेकर भी प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। इस मार्ग की गुणवत्ता को लेकर मिली शिकायतों पर कार्रवाई न करने के चलते मीना भट्ट (Meena Bhatt), अधिशासी अभियंता, और संजय तिवारी (Sanjay Tiwari), सहायक अभियंता, को भी कारण बताओ नोटिस थमाया गया है।
इन सभी अधिकारियों को 02 दिवस के भीतर संतोषजनक जवाब देना होगा। वरना अगली कार्रवाई और भी कठोर होगी। अब ज़िम्मेदारियों से भागने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। शासन अब जवाबदेही चाहता है — और जो जवाब नहीं देंगे, वो पद भी नहीं बचा पाएंगे।