मोदी मैजिक पर टिका मुन्ना चौहान का राजनीतिक भविष्य

भाजपा के तेज तर्रार नेताओं में शुमार विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान का राजनीतिक भविष्य इस बार पूरी तरह से मोदी मैजिक पर टिका हुआ है। इस बार के चुनाव में उनका मुकाबला वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव की तरह ही कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व कैबिनेट मंत्री नवप्रभात के साथ है। पिछले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी नवप्रभात को छह हजार से अधिक मतों से हराया था। तब भी उनकी जीत में मोदी लहर एक बड़ा फैक्टर रहा था, लेकिन इस बार का चुनाव उनके लिए बेहद कठिन रहा। उनके कट्टर समर्थक चुनाव कठिन होने के बावजूद जीत के दावे कर रहे हैं, लेकिन इस बार के चुनाव की परिस्थितियां पिछले चुनाव से पूरी तरह से भिन्न हैं। इस बार बड़ी संख्या में जौनसार के उन मतदाताओं, जिनका दो जगह (चकराता और विकासनगर) मतदाता सूची में नाम था, उनके नाम विकासनगर की मतदाता सूची से हट गए। यह मतदाता मुन्ना चौहान के व्यक्तिगत वोट बैंक माने जाते रहे हैं। इसके साथ ही कभी मुन्ना चौहान के बेहद करीबी रहे और चुनाव में अहम किरदार निभाने वाले पूर्व सभासद धमेंद्र ठाकुर और एक पूर्व प्रधान ने भी चुनाव में खुलकर मुन्ना का विरोध किया। दोनों ने ही ‌नवप्रभात के लिए वोट मांगे। इसके साथ ही मुन्ना चौहान के बेहद करीबी माने जाने वाले उनके कट्टर समर्थक पंचायत और ब्लॉक प्रतिनिधियों के कारण भी इस बार चुनाव में भारी विरोध दिखाई दिया। वहीं भाजपा संगठन और कार्यकर्ता भी इस के चुनाव में मुन्ना के समर्थन में ज्यादा उत्साहित नहीं दिखे। विकासनगर बाजार जिसे भाजपा का गढ़ माना जाता है, वहां भी मतदान से एक दिन पूर्व कई ऐसे बैनर दिखाई दिए, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और उस कार्यकर्ता की फोटो थी, जिसने बैनर लगाया था, इस बैनर में चुनाव लड़ रहे विधायक मुन्ना चौहान की फोटो नदारद थी। बैनर में लिखा गया था कि मेरा वोट राष्ट्र के नाम। यह तमाम कारण हैं जिन्होंने इस बार के चुनाव को मुन्ना के लिए आसान के बजाय कठिन बना दिया। यदि इन विपरीत समीकरणों के बावजूद मुन्ना चौहान जीत दर्ज करते हैं, तो उन्हें तेज तर्रार के साथ ही करिश्माई भी कहा जाएगा। उनका कद भाजपा में और भी बढ़ जाएगा। विपक्षियों को भी उनकी राजनीतिक समझ का लोहा मानने पर विवश होना पड़ेगा।
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