मुख्य सचिव ने दिए कार्रवाई के निर्देश, मोर्चा बोला- जनता को दिलाकर रहेंगे हक
देहरादून, 30 जुलाई 2025।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को जोड़ने वाला सिंहपुरा-नावघाट पुल भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पुल की कनेक्टिविटी न होने को लेकर एक बार फिर शासन-प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया है।
नेगी ने 17 जुलाई को मुख्य सचिव आनंद बर्धन को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि पुल की एप्रोच रोड और कनेक्टिविटी तत्काल सुनिश्चित की जाए। इस पर मुख्य सचिव ने सचिव, लोक निर्माण विभाग को कार्रवाई करने और हिमाचल प्रदेश सरकार को पत्र प्रेषित करने के निर्देश दिए हैं।
नेगी ने बताया कि इससे पहले भी 28 अक्टूबर 2024 को तत्कालीन मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से आग्रह किया गया था, जिस पर 4 दिसंबर 2024 को हिमाचल सरकार को पत्र भेजा गया था। लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

50 करोड़ की लागत से बना शोपीस
नेगी के अनुसार लगभग 50 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित यह पुल महज एक शोपीस बनकर रह गया है। पुल बनकर तैयार है लेकिन हिमाचल की ओर कनेक्टिविटी न होने के कारण इसका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है। जनता आज भी आवागमन की सुविधा से वंचित है, जबकि सरकार का करोड़ों रुपया बर्बाद हो रहा है।
बिना एमओयू शुरू हुआ निर्माण, दलालों ने खाई मलाई
मोर्चा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि पुल निर्माण की स्वीकृति अप्रैल 2015 में मिली थी, लेकिन बिना हिमाचल सरकार से पुख़्ता एमओयू साइन किए ही काम शुरू कर दिया गया। यहां तक कि सिंहपुरा की ओर भूमि अधिग्रहण भी अधूरा रहा। उन्होंने इसे जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत का परिणाम बताया।
कानूनी अड़चनों की आड़ में जिम्मेदारी से बच रहे अफसर
नेगी ने जानकारी दी कि सूत्रों से पता चला है कि हिमाचल सरकार की ओर से कनेक्टिविटी के मामले में कुछ कानूनी अड़चनें सुलझाने की प्रक्रिया जारी है। लेकिन सवाल ये है कि जब यह सब पहले से स्पष्ट था, तो बिना तैयारी के निर्माण कार्य क्यों शुरू किया गया?
मोर्चा बोले- जब तक कनेक्टिविटी नहीं, संघर्ष जारी रहेगा
नेगी ने कहा कि जन संघर्ष मोर्चा तब तक शांत नहीं बैठेगा, जब तक पुल को जनता के हित में पूरी तरह चालू नहीं करवा दिया जाता। “पुल जनता का है, न कि दलालों और भ्रष्ट अफसरों का,” उन्होंने दोटूक कहा।
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