विकास नगर हरबर्टपुर की अंधेरी रात में टूटा जिस्मफरोशी का मायाजाल”
विकास नगर( उत्तराखंड बोल रहा है) देहरादून की हवाओं में बारिश की नमी थी और हरबर्टपुर की गलियों में उस रात एक अजीब-सी खामोशी पसरी हुई थी। परदे के पीछे चल रहा पाप का खेल अचानक उजागर हो गया, जब पुलिस की दस्तक ने किराए के एक मकान में रची जा रही झूठी मोहब्बतों की दुनिया को चकनाचूर कर दिया।
सूचना थी कि यहां जिस्म के सौदागर प्यार का मुखौटा ओढ़े मासूमियत बेच रहे हैं। और जैसे ही एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट और विकासनगर पुलिस ने मकान में कदम रखा, तो हकीकत के सारे परदे गिर गए। कमरों में सजी-धजी रोशनियों के बीच पुलिस ने देखा—वो रिश्ते, जो प्यार की खुशबू में महकने चाहिए थे, पैसों की खनक में कैद थे।
दो महिलाएं और तीन पुरुष मौके से पकड़े गए। वह मकान, जो कभी किसी परिवार का ठिकाना रहा होगा, अब अनैतिक धंधे का अड्डा बन चुका था। नोटों की गड्डियां और बिखरी हुई आपत्तिजनक सामग्री इस बात की गवाही दे रही थी कि यहां मोहब्बत नहीं, बल्कि जिस्म का सौदा हो रहा था।
पूछताछ में मकान का केयरटेकर जय नारायण सब कुछ उगल बैठा। उसने बताया—यह मकान उसने राजकुमार नाम के शख्स के कहने पर संभाल रखा था। वही राजकुमार, जो फोन पर ग्राहकों से सौदे करता और बाहरी राज्यों से आई युवतियों को ‘गुलाबों’ की तरह बेच देता। विडंबना देखिए, प्यार के नाम पर बने रिश्तों को उसने चंद पैसों के लिए नीलाम कर दिया।
पुलिस ने जय नारायण सहित पांचों को गिरफ्तार कर लिया है और राजकुमार की तलाश तेज कर दी गई है।
कहते हैं, पाप का अंधेरा चाहे कितना ही गहरा क्यों न हो, कानून की रोशनी उसे चीर ही देती है। हरबर्टपुर की उस रात, पुलिस ने न सिर्फ एक मकान से जिस्मफरोशी का धंधा उजाड़ा, बल्कि यह संदेश भी दिया कि मोहब्बत का शहर देहरादून कभी भी लालच और गुनाह के इन नकली रंगों को स्वीकार नहीं करेगा।