विकासनगर। अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्रों के विकास हेतु स्वीकृत की गई चकराता और पुरोला क्षेत्र की कुल 82 योजनाओं को सरकार द्वारा अचानक निरस्त किए जाने पर जन संघर्ष मोर्चा ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएम के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने इसे दलालों के गठजोड़ पर सरकार की सख्त कार्रवाई करार दिया है।
नेगी ने बताया कि समाज कल्याण विभाग द्वारा प्रदेशभर में 295 योजनाएं, जिन पर करीब 38.06 करोड़ रुपये खर्च होने थे, उनमें से चकराता की 54 और पुरोला की 28 योजनाएं शामिल थीं, जिनके लिए लगभग 14 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई थी। लेकिन अब इन योजनाओं को आनन-फानन में निरस्त कर दिया गया, जिससे क्षेत्र में रोष व्याप्त है।
नेगी ने उठाए तीखे सवाल:

आखिर सिर्फ चकराता और पुरोला की योजनाएं ही क्यों रद्द की गईं?
क्या इन योजनाओं में दलालों की मिलीभगत सामने आई थी?
सरकार बताए कि इन योजनाओं को स्वीकृत कराने में शामिल दलाल कौन थे?
क्या इन योजनाओं के लिए कमीशन के तौर पर ली गई रकम अब वापस होगी?
नेगी ने कहा कि इस निर्णय से ऐसा प्रतीत होता है कि योजनाएं किसी बड़े दलाल तंत्र की साजिश के तहत स्वीकृत कराई गई थीं, जिसकी जानकारी मिलते ही सरकार को उन्हें रद्द करना पड़ा। उन्होंने इस पूरे प्रकरण को व्यापक घोटाले की आंशका बताते हुए मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
“दलालों का सिस्टम पर कब्जा” – मोर्चा

मोर्चा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि कुछ दलाल सरकारी सिस्टम में इस कदर हावी हैं कि वे योजनाओं को पास कराने से लेकर फंड के बंटवारे तक में भूमिका निभाते हैं। ऐसे में इन दलालों की पहचान कर सख्त कार्रवाई किया जाना जरूरी है, ताकि आगे इस तरह की गंभीर अनियमितताओं पर लगाम लग सके।
सरकार को चेताया
मोर्चा ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर इस पूरे मामले की जल्द जांच नहीं कराई गई तो मोर्चा जनआंदोलन का रास्ता अपनाएगा। साथ ही, भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों और दलालों को बेनकाब करने की मुहिम चलाई जाएगी।