पुत्र वही वो अपने पिता की सभी आज्ञा का पालन करें – बाल व्यास रामचंद्राचार्य

मनोरंजन सदन द्वितीय में राम कथा के चौथे दिन राम कथा का बहुत ही सुंदर वर्णन करते हुए श्री रामचंद्राचार्य बाल व्यास जी ने बताया कि श्रद्धा के द्वारा ही अपने बढ़ो से ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। गंगा केवल उसी का कल्याण करती है जो उसमें स्नान करते हैं लेकिन राम-कथा रूपी गंगा बिना स्नान के ही हमारे सभी पापों को नष्ट कर देती है। प्रभु श्री राम के अनेक अवतार हैं लेकिन इस कल्प में प्रभु ने मनु शतरूपा की भक्ति से प्रसन्न होकर अवतार लिया है। पुत्र उसी को कहा जाता है जो अपने पिता की सभी आज्ञा का पालन करें। पत्नी उसे कहा जाता है जो अपने पति के मन की गति जान सके इसी से इनका कल्याण होगा और कोई दूसरा मार्ग नहीं है, इसीलिए एक स्त्री के लिए पति ही देवता बताया गया है। श्री राम स्त्रोत का पाठ करने से हमारे सभी शत्रुओं का नाश होता है। जिस घर में पति-पत्नी मिलकर रहते हैं वहीं परमात्मा का निवास होता है। हमें परमात्मा से कभी कुछ मांगना नहीं चाहिए क्योंकि हमारे मांगने की कुछ सीमा हैं और परमात्मा के देने की कोई सीमा नहीं है।इसलिए परमात्मा की भक्ति में ही हमारा कल्याण है।लोभ के कारण कोई भी व्यक्ति पाप कर सकता है इसलिए हमें सदैव लोभ से बचना चाहिए। हम जब तक ही सुरक्षित हैं जब तक हमारे जीवन मे धर्म हैं, हमें किसी भी परिस्थिति में धर्म का त्याग नहीं करना चाहिए।

कथा मे सुबोध गोयल, निरंकार शर्मा, कौशल गुप्ता, मुकेश शर्मा, सतेंद्र तिवारी, पंडित ओम प्रकाश तिवारी, राकेश शर्मा, सतीश चंद्र गुप्ता, मोती लाल शर्मा, पवन शर्मा, अमित मोईन, विकास जैन, प्रदीप बंसल, नन्द किशोर श्रीवास्तव, राजेंद्र भारद्वाज, सरिता नेगी, सुशीला श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।