प्रशासनिक जिम्मेदारी के साथ मानवता की मिसाल पेश की डीएम सविन ने बंसल ने

डीएम सविन बंसल की सूझबूझ से टूटा नहीं परिवार, बुजुर्ग दंपति और बेटे-बहू में हुआ मेल-मिलाप

संवेदनशील पहल बनी मिसाल — संवाद से सुलझा पारिवारिक विवाद, प्रशासनिक जिम्मेदारी के साथ मानवता की मिसाल पेश की

देहरादून, 05 अक्टूबर ,(उत्तराखंड बोल रहा है)
देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल ने एक बार फिर अपनी संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण से समाज के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है। खुड़बुड़ा निवासी 70 वर्षीय बुजुर्ग दंपति, जिन्होंने अपने पुत्र और पुत्रवधु को घर से बेदखल करने के लिए भरणपोषण अधिनियम के तहत वाद दायर किया था, अब सुलह और साथ रहने के रास्ते पर लौट आए हैं।

अगस्त माह में जसंवत सिंह और उनकी पत्नी ने डीएम कार्यालय पहुंचकर अपने बेटे व पुत्रवधु के व्यवहार को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। बुजुर्ग दंपति ने बेटे को घर से बेदखल करने की मांग की थी। मामला संवेदनशील होने के कारण जिलाधिकारी सविन बंसल ने इसे प्राथमिकता दी और दो बार दोनों पक्षों को बुलाकर व्यक्तिगत रूप से वार्ता की।

डीएम बंसल ने बड़ी सहजता से दोनों पक्षों को समझाया कि —

“संघर्ष हर परिवार में होते हैं, लेकिन संवाद और सहयोग से ही रिश्ते बचते हैं। घर से बेदखल करना किसी के भी हित में नहीं है।”


उन्होंने बुजुर्ग दंपति को बेटे-बहू की जिम्मेदारियों का बोध कराया और बेटे-बेटी को भी माता-पिता के प्रति कर्तव्य और आदर की भावना समझाई।
धीरे-धीरे संवाद के माध्यम से तनाव सुलझा और दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से साथ रहने का निर्णय लिया।

डीएम कार्यालय मामले की मॉनिटरिंग आगे भी करेगा ताकि भविष्य में कोई विवाद न बढ़े।

गौरतलब है कि बुजुर्ग दंपति के चार पुत्र हैं — जिनमें से दो अलग रहते हैं, एक दिव्यांग है और चौथा पुत्र बंसी अपने तीन नाबालिग बच्चों के साथ रह रहा है। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण परिवार में तनाव उत्पन्न हुआ था, लेकिन डीएम की पहल से अब घर में फिर से खुशहाली का माहौल लौट आया है।

डीएम सविन बंसल ने इस मामले में न सिर्फ प्रशासनिक दक्षता दिखाई, बल्कि एक संवेदनशील अभिभावक की भूमिका निभाते हुए समाज में यह संदेश दिया कि –

“प्रशासन केवल कानून नहीं, बल्कि मानवता और संवेदना का भी प्रतीक है।”