मृत मरीजों के शव पर भी लूट, प्राइवेट अस्पतालों की हैवानियत पर भड़का जन संघर्ष मोर्चा
विकासनगर, 24 अगस्त।,( उत्तराखंड बोल रहा है)
जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने प्राइवेट अस्पतालों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश के अधिकांश बड़े-बड़े निजी अस्पताल हैवानियत की हदें पार कर चुके हैं। मरीजों के इलाज के नाम पर लूट तो हो ही रही है, अब तो मृत मरीजों के शव पर भी महंगी दवाइयां, इंजेक्शन और स्टेंट डालने का झूठा बिल थमाकर परिजनों को परेशान किया जा रहा है।
नेगी ने एक ताजा घटना का जिक्र करते हुए बताया कि देहरादून के एक नामी निजी अस्पताल में तड़के 2 बजे एक मरीज को भर्ती किया गया। कुछ ही घंटों बाद मरीज की मौत हो गई। परिजनों ने जब शव मांगा तो अस्पताल प्रबंधन ने 2 लाख रुपये स्टेंट और अन्य खर्चों के नाम पर जमा करने की बात कही, जबकि हकीकत में मरीज को स्टेंट डाला ही नहीं गया था। जन संघर्ष मोर्चा के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल ने मजबूरी में करीब 10-20 हजार रुपये जमा करवाकर शव परिजनों को सौंपा।
मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि कई अस्पताल मृत या ब्रेन-डेथ मरीजों को दिनों तक वेंटिलेटर पर रखकर परिजनों से मोटी रकम वसूलते हैं। यह अत्यंत शर्मनाक और अमानवीय कृत्य है।
नेगी ने सवाल उठाया कि –
आखिर प्राइवेट अस्पताल मरीजों को क्यों लूट रहे हैं?
इन पर निगरानी रखने वाले जिम्मेदार अधिकारी क्यों चुप्पी साधे बैठे हैं?
स्वास्थ्य मंत्री जानबूझकर क्यों बेखबर बने हुए हैं?
उन्होंने कहा कि मरीज इन अस्पतालों के लिए आज केवल कमाई का जरिया बन चुका है, उनका इलाज और जीवन अस्पताल प्रबंधन की प्राथमिकता में नहीं है।
जन संघर्ष मोर्चा ने चेतावनी दी है कि यदि इस तरह की लूट-खसोट बंद नहीं हुई तो लूट मचाने वाले प्राइवेट अस्पतालों पर ताले लगवाए जाएंगे।
पत्रकार वार्ता में दिलबर सिंह व अमित जैन भी मौजूद रहे।