जल विद्युत कंपनियों से एक हजार करोड़ से अधिक रुपए राजस्व का मामला !
सरकारी वकीलों की फौज काबिल नहीं या फिर भरोसा नहीं!
सरकार अपने एक्ट को बचाने में नाकाम
जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन (GMVN) के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी (Raghunath Singh Negi) ने मंगलवार को विकासनगर में पत्रकारों से वार्ता की। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा वर्ष 2012 में इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन एक्ट के तहत प्राइवेट/ सरकारी जल विद्युत कंपनियों पर वाटर टैक्स लगाया गया था। 30 MW क्षमता पर 2 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर, 60 MW पर 5 पैसे, 90MW पर 7 पैसे तथा 90 MW के ऊपर 10 पैसे क्यूबिक मीटर निर्धारित किया था। इस हिसाब से कंपनियों पर ₹1000 करोड़ से अधिक का राजस्व बकाया है, जैसा कि सूत्र बताते हैं।
नेगी ने कहा कि इन सरकारी एवं प्राइवेट कंपनियों यथा THDC, NHPC, अलकनंदा Hydro Power, भिलंगना Hydro Power, जयप्रकाश पावर वेंचर्स, स्वास्ति पावर प्राइवेट लि. आदि द्वारा मा. उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर वाटर टैक्स माफ करने की गुहार लगाई, जिसको मा. उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने दिनांक 12/02/21 को खारिज कर दिया।
उक्त के पश्चात इन प्राइवेट कंपनियों द्वारा मा. उच्च न्यायालय में स्पेशल अपील दायर की गई, जिसमें सरकार द्वारा महाधिवक्ता एवं उनकी भारी-भरकम फौज पर भरोसा करने की बजाय दिल्ली से प्राइवेट वकील लाकर पैरवी कराई गई, जिस पर मा. उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा 02/08/21 एवं 12/07/21 के द्वारा उक्त आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी यानी सरकार को हार का मुंह देखना पड़ा।
स्पष्ट शब्दों में कहें तो सरकार अपना एक्ट बचाने में नाकामयाब रही। उक्त मामले में अगली सुनवाई की तिथि 06/09/22 नियत की गई है। नेगी ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री धामी के ऊर्जा विभाग की ये हालत निश्चित तौर पर संदिग्धता पैदा करती है कि प्रतिवर्ष लाखों- करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी सरकार अपने महाधिवक्ता पर क्यों भरोसा नहीं जता पाई या महाधिवक्ता व उनकी टीम की काबिलियत पर सरकार को भरोसा नहीं या फिर प्राइवेट वकील से पैरवी के क्या मायने हो सकते हैं ! क्यों प्राइवेट वकीलों पर पैसा पानी की तरह बहा जा रहा है ! प्रेसवार्ता में दिलबाग सिंह व विजय राम शर्मा मौजूद थे।