सरकारी लापरवाही बनाम जनता की उम्मीद : सिंहपुरा-नावघाट पुल कनेक्टिविटी को लेकर जन संघर्ष मोर्चा मुखर
विकासनगर। करोड़ों की लागत से बना सिंहपुरा (हिमाचल)–नावघाट (उत्तराखंड) पुल आज भी जनता के लिए सपने जैसा है। 2015 में स्वीकृत और पिछले डेढ़-दो साल से तैयार यह पुल अफसरशाही की लापरवाही और राजनीतिक उदासीनता के चलते अब तक केवल “शोपीस” बनकर खड़ा है।
जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि यह पुल जनता की जीवनरेखा बन सकता था, लेकिन कनेक्टिविटी न होने के कारण सरकार का लगभग 50 करोड़ रुपए पानी में बह गया। उन्होंने सवाल उठाया कि बिना हिमाचल सरकार से पुख़्ता एमओयू किए और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी किए बिना पुल का निर्माण क्यों कर दिया गया?

नेगी ने बताया कि मोर्चा लगातार इस मुद्दे पर सरकार को जगाने का काम कर रहा है। जुलाई 2025 में मुख्य सचिव आनंद बर्धन को दिए गए ज्ञापन के बाद उन्होंने हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव से भी इस मामले पर पत्राचार और वार्ता की है। बावजूद इसके अब तक कनेक्टिविटी का रास्ता साफ नहीं हो पाया है।
मोर्चा का कहना है कि पुल के माध्यम से उत्तराखंड और हिमाचल के बीच आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों को नई गति मिल सकती है, लेकिन अफसरशाही की उदासीनता और कमीशनखोरी के कारण यह सपना अधूरा है।

नेगी ने साफ कहा कि जनता के हित में यह लड़ाई जारी रहेगी और मोर्चा पुल की कनेक्टिविटी कराकर ही दम लेगा।
मोर्चा की इस निरीक्षण टीम में महासचिव आकाश पंवार, हाजी असद, प्रवीण शर्मा पिन्नी, प्रमोद शर्मा, विनय गुप्ता व दिनेश गुप्ता भी शामिल रहे।