शैक्षणिक संस्थानों पर लेबर सैस थोपना छात्रों व अभिभावकों पर बोझ : जन संघर्ष मोर्चा

शैक्षणिक संस्थानों पर लेबर सैस थोपना छात्रों व अभिभावकों पर बोझ : जन संघर्ष मोर्चा

विकासनगर, 25 अगस्त। (उत्तराखंड बोल रहा है) जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने राज्य सरकार पर तुगलकी फरमान थोपने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश भर के निजी शैक्षणिक संस्थानों पर भवन निर्माण की लागत के आधार पर एक फ़ीसदी लेबर सैस वसूलने के आदेश ने विद्यालय प्रबंधन की नींद उड़ा दी है।

नेगी ने कहा कि भवन निर्माण एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा जारी किए गए नोटिसों में भवन की लागत पर टैक्स लगाया जा रहा है, जबकि होना यह चाहिए था कि वास्तविक लेबर लागत के आधार पर सैस निर्धारित किया जाए। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यदि किसी भवन की लागत ₹1000 है और उस पर ₹150 लेबर खर्च आया है, तो एक फ़ीसदी सैस ₹1.50 होना चाहिए था, लेकिन सरकार ₹1000 की लागत पर ₹10 का टैक्स थोप रही है। यह टैक्स दरअसल लेबर कर न होकर भवन कर जैसा प्रतीत हो रहा है।

मोर्चा अध्यक्ष ने चेतावनी दी कि इस प्रकार का कर अप्रत्यक्ष रूप से छात्रों और अभिभावकों पर बोझ बढ़ाएगा और शिक्षा की लागत को और महंगा कर देगा। उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही हर क्षेत्र में टैक्स पर टैक्स लगाकर जनता की कमर तोड़ रही है और अब शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र पर भी जजिया कर थोपने की तैयारी दुर्भाग्यपूर्ण है।

नेगी ने बताया कि अस्पतालों व अन्य संस्थानों से भी इसी प्रकार का कर वसूला जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि जन संघर्ष मोर्चा इस जजिया कर में संशोधन की मांग को लेकर जल्द ही मुख्यमंत्री दरबार में दस्तक देगा।