श्रमिक दिवस: शहीद श्रमिकों को दी श्रद्धांजलि, सरकार की नीतियों की आलोचना की

विकासनगर। चाय बागान श्रमिक संघ (सीटू) उदियाबाग, गुडरिच के मजदूरों द्वारा प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी नरेश कुमार (उपाध्यक्ष) की अध्यक्षता में मई दिवस मनाया गया। सर्वप्रथम फैक्ट्री गेट पर झण्डा आरोहण किया गया। चाय बागान यूनियन के संस्थापक का. छोटेलाल, रघुनन्दन प्रसाद यादव, मुन्नालाल, मेलाराम व विरेन्द्र भण्डारी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई, श्रमिकों ने केन्द्र व राज्य सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में जमकर नारे लगाये। सभा का संचालन करते हुए चाय बागान श्रमिक संघ गुडरीच के मंत्री देवानन्द पटेल ने कहा कि 1 मई 1886 को अमेरिका के शिकागो शहर में काम के घंटे बांधने को लेकर मजदूरों का आन्दोलन हुआ। जिसमें मजदूरों पर पुलिस द्वारा दमन किया गया। परिणाम स्वरूप कई मजदूर शहीद हो गये। तभी से हम उन शहीदों की याद में अर्न्तराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाते आ रहें है। परिणाम स्वरूप काम के घंटे 8 किये गये थे। इस बार मई दिवस अर्न्तराष्ट्रीय भाईचारे के रूप में भी मनाया गया।

सीटू के प्रान्तीय जिला महामंत्री का. लेखराज ने कहा कि भाजपा के केन्द्र सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान जब देश की जनता जिन्दगी और मौत की लडाई लड रही थी, तब मजदूरों के 44 श्रम कानूनों में से 29 प्रभावशाली कानूनों को खत्म कर चार नये लेबर कोड (श्रम सहिता) बनायें। इन चार नये श्रम सहिताओं के लागू होने पर मजदूरों ने अपने संघर्षों ओर बलिदानों से जो श्रम कानून हासिल किये थे, भाजपा सरकार ने उसे खत्म कर दिया। सरकार ने यूनियन बनाना, पंजीकरण करवाना लगभग असम्भव कर दिया और अगर यूनियन बन भी गई तो सरकार उसे कभी भी खत्म कर सकती है। धरना, प्रदर्शन और हडताल करने पर भारतीय न्याय सहिता की धारा 111 के तहत जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। पक्के राजगार की जगह भाजपा सरकार (Fix term) Apprentice (प्रशिक्षु) Trainee आउटसोर्स, सप्लाई और ठेका मजदूर का नया फरमान ले आई है। पक्की नौकरी ना होने पर मजदूर अपने अधिकार के लिए लामबंध नहीं हो सकेंगे। और ग्रेज्यूटी व अन्य लाभों से वंचित हो जायेंगे। बिना नोटिस के मजदूरों को नौकरी से निकाला जा सकता है। सी०पी०एम० के जिला सचिव का. शिव प्रसाद देवली ने कहा कि इस मई दिवस के अवसर पर हम केन्द्र व राज्य सरकारों से मांग करते है कि प्रभावशाली 29 श्रम कानूनों के स्थान पर बनायी गई चारो श्रम सहितायें समाप्त की जाये, किसानों को एम०एस०पी० पर कानून बनाया जाये। स्कीम वर्कर, ऑगनबाडी, भोजनमाता, आशाओं को समाजिक सुरक्षा न्यूनतम वेतन सहित कर्मकार घोषित किया जायें, बढती बेरोजगारी पर रोक लगाई जाये केन्द्र व राज्य संस्थानों में रिक्त पड़े पदों पर भर्ती की जाये, भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड उत्तराखण्ड ई०पी०एफ०, ई०एस०आई० सहित मजदूरों से सम्बन्धित सभी समितियों में ट्रेड युनियन के प्रतिनिधयों को रखा जाये तथा मनरेगा बजट में जो कटौती की जा रही है जिसके कारण मजदूरों को 100 दिन का काम नहीं मिल पा रहा है। मनरेगा में रोजगार ना मिलने से कल्याण बोर्ड में पंजीकृत मजदूरों का नवीनीकरण नहीं हो रहा और उन्हे वजिफा, शादी, मृत्यु होने पर आर्थिक लाभ आदि के लाभ से पड रहा है। सीटू के जिला कोषाध्यक्ष का० रविन्द्र नौडियाल ने कहा कि शिकागो में मेहनतकश मजदूरों के बलिदान के 139 वर्ष बाद आज पुनः मजदूर वर्ग गम्भीर संकट में फस गये है मजदूर संगठनो ने अपने जुझारू संघर्षो से जो अधिकार प्राप्त किये थे उन्हे वैश्वीकरण नीतिकरण के दौर में फसाया जा रहा है आज महगाई दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है जिले के चाय बागानों मे हजारों की संख्या में कर्मचारी कार्य करते थे वर्तमान में अब मात्र सैकडों कर्मचारी कार्य कर रहे है चाय बागान की भूमि को सरकार एवं सेवायोजक की मिलीभगत से खुर्द-बुर्द कर भू-माफियाओं को बेचने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन सलाहकार समिति की कमेटी में ट्रेड यूनियन, फैडरेशन के प्रतिनिधि आजादी के बाद से रखे जाते थे लेकिन वर्तमान सरकार अपने चहते गैर ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों को रख रही है जिसमें कम न्यूनतम मजदूरी तय कर उघोग पतियों को खुश किया जा सकें। का० नरेश कुमार के कहा कि आज प्रत्येक क्षेत्र में मजदूरों का शोषण चर्म सीमा पर है। 8 घंटे से अधिक कार्य लिया जा रहा है और भविष्य निधि भी नही काटी जा रही है। चाय बागानों की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगडती जा रही है, उदियाबाग एवं गुडरिच के चाय बागानों को हर वर्ष उजाडा जा रहा है इस वर्ष भी लगभग 60 बीघा चाय बागान उजाड कर गेहू, मक्का, लेमनग्रास इत्यादि के खेती की जा रही है, जो टी-प्लान्टेशन एक्ट का सरासर उल्लंघन है। चाय बागान में न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जा रहा है इस सम्बन्ध में श्रम विभाग व सेवायोजक पक्ष को कई बार लिखित सूचना दी जा चुकी है लेकिन कोई भी संतोषजनक कार्यवाही नही हुई। ऐसा लगता है कि श्रम विभाग राज्य सरकार का न होकर सेवायोजक पक्ष का है। श्रमिको ने कहा कि1836 से हम लोग पीढी दर पीढी चाय बागान में निवास कर रहे है लेकिन हमारे जाति व निवास प्रमाणपत्र नही बन रहे है जबकि वर्ष 1952 में सुर्पीम कोर्ट ने देश में निवास करने वाले व्यक्ति को जिस राज्य में वह रह रहे लोगों को यहां का स्थाई निवासी मान चुकी है, लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक श्रमिको को भूमिधरी का अधिकार नहीं दिया है। जिस कारण श्रमिकों को मूल निवास व जाति प्रमाण पत्र नही बना पा रहे हैं, इसलिए केन्द्र व राज्य की नौकरियों में अनुसूचित व पिछडी जाति के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।का० हरीश, विजय, चन्द्रपाल यादव, जगदीश, दीपक, संजय, साजन, सन्नी, राकेश, अमरेश, मनोहर लाल, इन्द्रेश, महेश कुमार, गगन, रविन्द्र श्रीमती अनीता, उर्मिला, सन्नो, सुशीला, अनारकली व ग्राम पंचायत एटनबाग के प्रधान प्रवीन कुमार और क्षेत्र पंचायत जमनीपुर के क्षेत्र पंचायत सदस्य सुनील राणा आदि मौजूद रहे।