देहरादून विकासनगर।
आयुष्मान भारत योजना के तहत गंभीर स्थिति में बाह्य रोगियों को समय पर वेंटिलेटर और आईसीयू की सुविधा न मिलने की शिकायत को लेकर जन संघर्ष मोर्चा ने शासन में दस्तक दी है। मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार से मुलाकात कर इस गंभीर विषय पर ज्ञापन सौंपा।
नेगी ने कहा कि कई नामी प्राइवेट सूचीबद्ध अस्पताल इमरजेंसी में आयुष्मान योजना के तहत वेंटिलेटर अथवा आईसीयू सुविधा देने से टालमटोल करते हैं। अस्पताल “सिफारिश नहीं है” या “वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं” जैसे बहाने बनाकर मरीजों को लौटा देते हैं, जबकि अंदरूनी तौर पर वह सुविधा उपलब्ध होती है। यह रवैया सरकार की जनहितकारी योजना की मूल भावना के विरुद्ध है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कई अस्पताल सिर्फ उन्हीं मरीजों को तवज्जो देते हैं जो या तो नगद भुगतान करते हैं, या फिर किसी गोल्डन कार्ड या अन्य निजी बीमा के तहत इलाज करवा रहे होते हैं। जबकि सिफारिश न होने पर आयुष्मान कार्ड धारकों को गंभीर हालत में भी दर-दर भटकना पड़ता है।
मोर्चा ने दावा किया कि कुछ अस्पताल तो तब तक मरीज को भर्ती रखते हैं जब तक उसके स्वास्थ्य बीमा कार्ड की राशि पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाती, भले ही मरीज की मृत्यु चार दिन पहले ही हो चुकी हो।
नेगी ने कहा कि अगर सरकार वाकई में चाहती है कि आयुष्मान योजना धरातल पर प्रभावी हो, तो इस प्रकार की लापरवाही और भेदभाव पर सख्त कार्यवाही जरूरी है। उन्होंने विभागीय मंत्री से भी मांग की कि वे इस मामले में व्यक्तिगत संज्ञान लें और जरूरतमंद मरीजों को राहत दिलाएं।
सचिव स्वास्थ्य डॉ. राजेश कुमार ने मामले में उचित कार्यवाही का भरोसा दिलाया है। मोर्चा को उम्मीद है कि जल्द ही आयुष्मान योजना के अंतर्गत आने वाले बाह्य रोगियों को भी बिना भेदभाव के वेंटिलेटर और आईसीयू जैसी जीवन रक्षक सुविधाएं मिलना सुनिश्चित होंगी।