विकासनगर। तीन दिवसीय ऋषि का यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ समापन हुआ। विश्वशांति की कामना की गई। पंडित चंदन शास्त्री के निर्देशन में विवेक कुमार, नंदिनी, रेनू, सुषमा, बिमला, सौम्या, दिव्यम, कुलदीप, हरिकेश्वर, महेंद्रू ब्रम्ह यज्ञ को यजमान बने। सुन रे मानव हित की बात बताऊं प्रसिद्ध भजन गायक सुमित आर्य अंगिरस ने श्रोताओं को भक्ति भाव से भिगो दिया। जीवन व्यर्थ ना गुजर जाए…. भजन से भक्तों को सार्थक जीवन की ओर प्रेरित किया। पंडित प्रदीप मिश्रा ने सत्यार्थ प्रकाश के दसवें समुल्लास का वर्णन करते हुए कर्म की गति पर प्रकाश डाला। कर्मों की विविधताओं के कारण ही योनियों की विभिन्नताए हैं। कर्म का सिद्धांत केवल मनुष्य के लिए ही है। पशु पक्षी कर्म नहीं कर पाते पशु पक्षियों की केवल भोग योनि को पूरा करने आते हैं। कर्मों को चार आधारों पर बांटा गया है। साधनों के आधार पर कर्म, फल, कार्य और भावना के आधार पर वचन और कर्म से ही कर्मों को साधा जा सकता है।
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शुभ, अशुभ, कर्म, मनुष्य का जन्म जन्मांतर तक पीछा रखते हैं। क्रियामाण, संचित और प्राबद्ध कर्मों का विवरण देकर उन्होंने मनुष्य को सदा वैदिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। देहरादून, डोभरी, सहसपुर आर्य समाजों के सदस्य एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन शांति गान के साथ किया गया। इस अवसर पर रामपाल रोहिला, अमिताभ अनिरुद्ध, विजेंद्र सैनी, प्रदीप कुमार, दिनेश कुमार सिंह, डॉक्टर प्रवेश गुप्ता, रमन ढंग, बृजपाल,गंभीर सिंह सिंधवाल, विकास पंवार, राजू अरुण, दिव्यम, जितेंद्र कौशिक, नारायण दत्त, पांचाल, नवीन भट्ट, स्नेह लता खट्टर, अरुणा गुप्ता, मिथलेश शर्मा, ईश्वर मेंहदीरत्ता, नंदिनी, बिमला, रेनू, दिव्या, सावित्री, पार्वती पुंडीर, रेखा अग्रवाल, पुष्पा चुग, शशिबाला कौमुदी, सौम्या, कांता कंबोज अनुजा मीनू मंजू आदि उपस्थित रहे।