नहर सूखने पर खुली अधिकारियों और ठेकेदारों की कार्यप्रणाली की पोल
करोड़ों के बंदरबांद की फिर से हो रही तैयारी
वरिष्ठ संवाददाता
विकासनगर। यूजेवीएनएल के अधिकारियों की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह एक साल के भीतर शक्ति नहर में दूसरी बार क्लोजर का होना है। क्लोजर भी ऐसे वक्त में लिया गया है, जब बिजली का उत्पादन जोरों पर होता है। क्लोजर के चलते शक्ति नहर से जुड़ी तीन जल विद्युत परियोजनाओं ढकरानी, ढालीपुर और कुल्हाल में भी उत्पादन ठप हो गया है। अब सवाल यह उठता है कि विद्युत उत्पादन ठप होने पर होने वाले करोड़ों के राजस्व के नुकसान की भरपाया विभाग करेगा या फिर यूजेवीएनएल। इस पर राज्य आंदोलनकारी विकास शर्मा और ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स एंड एनवायरनमेंट के अध्यक्ष भास्कर चुग ने सवाल उठाए हैं। उत्तराखंड जल विद्युत निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि शक्ति नहर के क्लोजर को अभी एक वर्ष भी पूरा नहीं हुआ है और फिर से करोड़ों की बंदरबांट के लिए एक बार फिर से शक्ति नहर को सूखा दिया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्व में हुए क्लोजर में भारी अनियमितताओं के आरोप लगे थे। जिनमें घटिया सामग्री का प्रयोग, साइड वालों की रिपेयरिंग सही तरीके से ना होना, नहर की बेड का निर्माण न होना एवं अन्य भी कई प्रकार के प्रश्न उनके द्वारा उठाए गए थे। इसे लेकर मुख्यमंत्री के समक्ष भी शिकायत दर्ज कराई गई। जिसकी जांच वर्तमान में भी गतिमान बताई जाती है। कहा कि पूर्व में हुए क्लोजर के कार्य एक भी बारिश नहीं झेल सके थे। ढकरानी स्थित सीजेएम कोर्ट के नजदीक के एरिया में शक्ति नहर की साइड वॉल ढह गई थी। तब रेत के कट्टे आदि लगाकर साइड वॉल को किसी तरह रोका गया। नहर के सूखने से विभाग और ठेकेदारों की कार्यप्रणाली की पोल खुल गई है। यह साबित करता है कि पूर्व में हुए क्लोजर में ठेकेदारों तथा विभागीय अधिकारियों ने जमकर भ्रष्टाचार किया। उन्होंने सरकार ने मामले में सीबीआई जांच कराने की मांग की है।
यह उठ रहे सवाल
- पीक सीजन में आखिर क्यों पड़ी क्लोजर की जरूरत
-क्या लीपापोती के लिए तो नहीं लिया गया क्लोजर
-पूर्व में हुई जांच पर क्या हुई कार्रवाई - उन्हीं ठेकेदार पर निगम ने फिर से कर दी मेहरबानी
- क्या ठेकेदारों और अधिकारियों को लाभ पहुंचाने के लिए लिया गया क्लोजर
-पहले 28 और अब 10 दिन का लिया गया क्लोजर
-बिजली उत्पादन ठप से करोड़ों के राजस्व के नुकसान का कौन होगा जिम्मेदार