देहरादून राष्ट्रीय लोक अदालत में रिकॉर्ड तोड़ निस्तारण

देहरादून राष्ट्रीय लोक अदालत में रिकॉर्ड तोड़ निस्तारण, एक ही दिन में निपटे 14,445 मामले

260 करोड़ से अधिक की धनराशि पर हुआ समझौता, जिला जज के नेतृत्व की सराहना

देहरादून, 13 सितम्बर।
जिला देहरादून में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत ने ऐतिहासिक सफलता दर्ज की। मात्र एक दिन में जिलेभर के न्यायिक अधिकारियों ने 14,445 मामलों का निस्तारण किया। इस उल्लेखनीय उपलब्धि के साथ ही जिले में लंबित वादों की संख्या अब एक लाख से नीचे पहुंच गई है। लोक अदालत के माध्यम से ₹260,02,81,67 (260 करोड़ से अधिक) की धनराशि का समझौता भी संपन्न हुआ।

इस सफलता का श्रेय जिला देहरादून के माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री प्रेम सिंह खिमाल को दिया गया। उनके मार्गदर्शन और प्रेरणा से अधीनस्थ न्यायालयों में कार्य की गति तेज हुई और लोक अदालत में पक्षकारों को सुलह एवं न्याय का सहकार मिला। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव श्रीमती सीमा डुँगराकोटी ने बताया कि न्यायालय की गरिमा बनाए रखने और समाज में भाईचारे का वातावरण स्थापित करने में लोक अदालतें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

विभिन्न न्यायालयों का प्रदर्शन

राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन जिला मुख्यालय देहरादून के साथ ही बाह्य न्यायालय ऋषिकेश, विकासनगर, डोईवाला एवं मसूरी में किया गया।

जिला मुख्यालय देहरादून में 11,374 मामलों का निस्तारण हुआ और ₹180,422,049 की धनराशि पर समझौता संपन्न हुआ।

विकासनगर न्यायालय ने 1,900 मामलों का निपटारा कर ₹22,075,346 का राजस्व प्राप्त किया।

ऋषिकेश न्यायालय ने 912 मामलों का निस्तारण कर ₹43,637,502 की धनराशि सुनिश्चित की।

डोईवाला न्यायालय ने 225 मामलों का निस्तारण कर ₹98,72,507 का राजस्व प्राप्त किया।

मसूरी न्यायालय ने 34 मामलों का निस्तारण कर ₹40,20,763 की धनराशि अर्जित की।


प्री-लिटिगेशन मामलों का भी समाधान

इस लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन स्तर के 6,901 मामलों का निस्तारण किया गया, जिसमें ₹36,059,775 की राशि पर समझौता हुआ।

पूर्व में भी रहा शानदार प्रदर्शन

10 मई 2005 को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में भी जिला देहरादून ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए एक ही दिन में 12,675 मामलों का निस्तारण किया था।

लोक अदालत का महत्व

सचिव श्रीमती सीमा डुँगराकोटी ने बताया कि लोक अदालत सरल और त्वरित न्याय का सशक्त माध्यम है। इसमें दिए गए आदेश अंतिम होते हैं और पक्षकारों को न्यायशुल्क भी वापस कर दिया जाता है। इससे समाज में शांति, भाईचारा और विश्वास की भावना मजबूत होती है।