मंदिर श्री महादेव गौतमाश्रम गंगाभेवा बावड़ी, ढकरानी में सावन के चौथे सोमवार के पावन अवसर पर रुद्राभिषेक का भव्य आयोजन किया गया। इस धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन “महंत स्वामी जयानंद भारती के आदेशानुसार “प्रतिष्ठा सेवा समिति ट्रस्ट” द्वारा संपन्न किया गया। स्वामी जयानंद भारती” ने हाल ही में “प्रतिष्ठा सेवा समिति ट्रस्ट” को बावड़ी मंदिर की समस्त धार्मिक और प्रशासनिक जिम्मेदारियां सौंपी हैं, जिसमें पूजा-पाठ, आध्यात्मिक अनुष्ठान और श्रद्धालुओं की व्यवस्था शामिल हैं। स्वामी द्वारा लिखित में इस अधिकारिकता का दस्तावेज उप जिला अधिकारी, उप-विभागीय पुलिस अधिकारी, और उप निबंधक, फर्म्स सोसायटी एंड चिट्स, देहरादून कार्यालय में जमा कराया गया है। महंत स्वामी जयानंद भारती ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में बावड़ी मंदिर पर कोई भी समिति कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है। हाल ही में कुछ व्यक्तियों द्वारा फर्जीवाड़ा कर समिति के नवीनीकरण का प्रयास किया गया था, जिसके चलते स्वामी जी ने “प्रतिष्ठा सेवा समिति ट्रस्ट” को मंदिर की समस्त जिम्मेदारियों का प्रभार सौंपा है। स्वामी जी के इस निर्णय का उद्देश्य मंदिर की पवित्रता और श्रद्धालुओं के विश्वास की रक्षा करना है। रुद्राभिषेक में पंडित हिमांशु गॉड, पंडित आयुष गॉड, और सहयोगी पंडित शोभित द्वारा विधिवत पूजा संपन्न की गई। प्रतिष्ठा सेवा समिति ट्रस्ट ने यह भी जानकारी दी कि स्वामी के निर्देशानुसार अब एक योग्य पंडित को मंदिर में नियमित पूजा-पाठ के लिए नियुक्त किया गया है, जो ट्रस्ट के संरक्षण में मंदिर में अपनी सेवाएं देंगे। इस धार्मिक आयोजन में “प्रतिष्ठा सेवा समिति ट्रस्ट” के अध्यक्ष गिरीश डालाकोटी, पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष एवं ट्रस्टी श्री भूपेंद्र डोगरा, श्री प्रवीण कुमार शर्मा, श्री इशम सिंह, श्री अंशुल शर्मा, पछवादून अध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार, शुभम सकलानी, प्रदीप कुमार, वि.हि.प के जिला मंत्री विनोद रावत, नरेंद्र शर्मा, शुभम, राहुल गोस्वामी, खुशबू थापा, विशाल ओझा, विक्की, सुमित कुमार, मुख्य यजमान (श्री विवेक शील अग्रवाल एवम नीतू अग्रवाल), तुषार चौहान, पंकज भट्ट, वीरेंद्र तोमर, ऋषि पाल, मदन, अक्षय आदि शामिल थे।
सभी उपस्थितों ने महंत स्वामी जयानंद भारती जी के इस दूरदर्शी और साहसिक कदम की सराहना की, जिसने मंदिर में चल रहे फर्जीवाड़े को बेनकाब करते हुए एक सच्ची धार्मिक व्यवस्था को स्थापित किया।
समारोह के अंत में, गिरीश डालाकोटी ने भगवद गीता का एक श्लोक उद्धृत किया।
“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
अर्थ: जब-जब धर्म का पतन होता है और अधर्म का उत्थान होता है, तब-तब मैं धर्म की स्थापना के लिए स्वयं का अवतार लेता हूँ।
*इस श्लोक के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि सत्य और धर्म की रक्षा के लिए सदैव उचित कदम उठाए जाने चाहिए, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो। उपस्थित भक्तगणों ने स्वामी जी के इस प्रेरणादायक नेतृत्व की भूरि-भूरि प्रशंसा की और आयोजन को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।