क्लब द्वितीय डाकपत्थर मे कथा के दूसरे दिन श्री राम कथा का वर्णन करते हुए श्री रामचंद्राचार्य जी ने बताया की राम कथा तुलसी दास जी ने हनुमान जी की कृपा से सम्पूर्ण समाज के लिए सरल भाषा मे मानव कल्याण के लिए किया है। रामचरित मानस मे चारो वेद, अठारह पुराण, सौ करोड़ रामायणो का सार निहित है यह हमारे ह्रदय को सुख प्रदान करने वाला है। हमारे शरीर मे चौदह लोक जन्म के समय से ही विद्यमान है हम स्वयं को परमात्मा की नज़र से बचा नहीं सकते इसलिए हमें सदैव परमात्मा का स्मरण रखना चाहिए। राम कथा सर्वप्रथम तीर्थराज प्रयाग मे भारद्वाज ऋषि के द्वारा सुनाई गयी और दूसरा स्थान कैलाश पर्वत है जहाँ भगवान शिव पार्वती को सुना रहे हैं। तीसरा स्थान जनकपुर हैं जहाँ भगवान राम को पुष्पवाटिका मे आराम मिला और चौथा स्थान समुद्र किनारे रामेश्वर है जहाँ भगवान ने शंकर की स्थापना की है।
कथा मे समिति अध्यक्ष सुबोध गोयल, सचिव निरंकार शर्मा, मुकेश शर्मा, उपाध्यक्ष कौशल गुप्ता, सतेंद्र तिवारी, पंडित ओम प्रकाश शास्त्री, सतीश चंद्र गुप्ता, राकेश शर्मा, मोती लाल शर्मा, नन्द किशोर श्रीवास्तव, राजपाल शर्मा, प्रदीप बंसल, राजेंद्र भारद्वाज, अनिल अग्रवाल, मुरलीधर बलोधी, अनुराधा शर्मा, रमा गुप्ता, तारा यादव, रमा सक्सेना, वेदवती त्यागी आदि उपस्थित रहे।