मोर्चा के प्रयास से हरकत में आया राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण – नेगी
विकासनगर। (उत्तराखंड बोल रहा है) जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि प्रदेश के कई बड़े सूचीबद्ध निजी अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत बाह्य रोगियों को आपात स्थिति में वेंटिलेटर व आईसीयू की सुविधा देने से कतराते रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन अक्सर सिफारिश, बहानेबाज़ी और देरी का सहारा लेकर गंभीर मरीजों को योजना का लाभ नहीं लेने देते, जबकि अस्पताल में सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं।

नेगी ने बताया कि ऐसे मामलों को लगातार उठाने और शासन को जगाने के मोर्चा के प्रयासों का ही नतीजा है कि राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अब सभी मेडिकल सुपरिटेंडेंट्स व सूचीबद्ध अस्पताल प्रबंधनों को सख्त निर्देश जारी किए हैं।
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अस्पताल गोल्डन कार्ड, स्वास्थ्य बीमा कार्ड और नगद भुगतान करने वालों को प्राथमिकता देते हैं, जबकि आयुष्मान योजना के अंतर्गत गरीब और जरूरतमंद मरीज अस्पतालों के चक्कर लगाने को मजबूर रहते हैं। कई मामलों में तो सिफारिश वाले मरीजों को ही सुविधा मिलती है, बाकी मरीज उपेक्षित रह जाते हैं।

नेगी ने आरोप लगाया कि कुछ अस्पताल मरीजों से बीमा राशि पूरी तरह वसूलने तक उन्हें डिस्चार्ज नहीं करते, चाहे मरीज की मृत्यु ही क्यों न हो चुकी हो। यह रवैया न केवल अनैतिक और अमानवीय है, बल्कि आयुष्मान योजना के मूल उद्देश्यों की अवहेलना भी है।

मोर्चा अध्यक्ष ने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में किसी भी अस्पताल द्वारा मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया गया, तो मोर्चा कड़े आंदोलन के लिए बाध्य होगा। उन्होंने कहा – “सरकार की महत्वाकांक्षी योजना धरातल पर सही रूप से लागू हो, यह हमारी प्राथमिकता है। मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”