स्टोन क्रशर्स हेतु अलग जोन स्थापित करने के हैं निर्देश
पूर्व में भी अलग जोन स्थापित करने के दिए गए थे निर्देश न्यायालय द्वारा
माफियाओं के हितों को लेकर पैरवी कराई गई थी सॉलिसिटर जनरल से
न्यायालय की टिप्पणी कि सरकार सो रही, सरकार के लिए डूब मरना जैसी
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि कल मा. उच्च न्यायालय द्वारा याचिका पर सुनवाई कर सरकार को निर्देश दिए कि प्रदेश में स्थापित समस्त स्टोन क्रशर्स के लिए एक अलग ज़ोन (अलग स्थान पर ) घोषित करें, जिससे नदी- नालों, स्कूल- अस्पताल के आसपास स्थापित इन क्रशर्स को हटाया जा सके | इसके साथ-साथ सरकार द्वारा राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड के नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां पर भी मा. न्यायालय ने सख्ती दिखाई |इस मामले को लेकर मा.न्यायालय ने सरकार के कामकाज पर तल्ख टिप्पणी कर कहा कि ” सरकार सोई हुई है”| उक्त टिप्पणी के पश्चात सरकार को डूब मारना चाहिए | मा. न्यायालय का यह चाबुक सराहनीय कदम है | नेगी ने कहा कि पूर्व में धामी सरकार द्वारा इसी प्रकार की जनहित याचिकाओं 104/ 2019 एवं 212/ 2019 में पारित मा. उच्च न्यायालय के आदेशों से घबराकर एवं खनन माफियाओं के हितों पर आंच आने के चलते सरकार द्वारा उत्तराखंड हाई कोर्ट के सरकारी वकीलों को दरकिनार कर सॉलिसिटर जनरल ऑफ़ इंडिया को पैरवी हेतु आबद्ध किया गया था | गौर करने वाली बात यह है कि अगर प्रदेश में स्थापित समस्त स्टोन क्रशर्स हेतु अलग ज़ोन (आस्थान) स्थापित हो जाते हैं तो पूरी रात नदियों में हो रहा अवैध खनन का खेल बंद हो जाएगा, जिससे माफियाओं का हित प्रभावित होगा | सरकार को सिर्फ माफियाओं की चिंता है, आमजन की नहीं | नेगी ने कहा कि मा. न्यायालय के आदेशों की नाफरमानी एवं तल्ख टिप्पणी कि “सरकार सोई हुई है” के उपरांत इस सरकार को बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रहा | पत्रकार वार्ता में -विजय राम शर्मा व प्रमोद शर्मा मौजूद थे |