कठपुतली बन चुके राजभवन से हस्तक्षेप की मांग मोर्चा

कठपुतली बन चुके राजभवन से हस्तक्षेप की मांग मोर्चा

विकासनगर। (उत्तराखंड बोल रहा है) जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश में अपराधों की बढ़ती दर की एक बड़ी वजह सरकारों द्वारा गंभीर प्रवृत्ति के मुकदमों को वापस लेना है। हत्या का प्रयास, लूट-खसोट, जालसाजी, फर्जीवाड़ा, भूमि कब्जा, और फर्जी डिग्रियां बनाने जैसे मामलों में सरकारें ‘जनहित’ का तर्क देकर अपराधियों को राहत दे रही हैं।

नेगी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकारें धारा 321 के तहत मुकदमे वापस लेने की शक्ति का दुरुपयोग कर रही हैं। यह धारा केवल जनहित में मुकदमे वापस लेने के लिए है, लेकिन इसका प्रयोग अब अपराधियों को बचाने के लिए हो रहा है। उन्होंने कहा कि आंदोलनों से जुड़े मुकदमों को जनहित मानना तो तर्कसंगत है, लेकिन माफियाओं और बदमाशों के मामलों को जनहित बताना न्याय का मखौल है।

मोर्चा अध्यक्ष ने बताया कि इन मामलों में अभियोजन विभाग, पुलिस और प्रशासन स्वयं मुकदमे वापसी का विरोध करते रहे हैं, फिर भी सरकारें नियमों को ताक पर रखकर निर्णय लेती रही हैं। इससे उन पीड़ितों के साथ भी अन्याय होता है, जिन्होंने अपराधियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करवाए थे।

उन्होंने याद दिलाया कि मा. उच्च न्यायालय ने नवंबर 2012 में दिए निर्देशों में स्पष्ट कहा था कि सरकार केवल धारा 321 के अंतर्गत जनहित मामलों में ही मुकदमे वापस ले सकती है। इसके बावजूद सरकारें इस आदेश की अनदेखी कर रही हैं।

नेगी ने कहा कि इस पूरे मामले में मोर्चा द्वारा राजभवन से हस्तक्षेप की मांग की गई है, लेकिन अफसोस की बात है कि राजभवन भी अब सरकार की कठपुतली बन चुका है। मोर्चा ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि वे सरकार को इस दिशा में कड़े निर्देश दें ताकि गंभीर अपराधों में मुकदमे वापस लेने जैसी प्रवृत्ति पर रोक लग सके।