विकासनगर – नगर निगम हरिद्वार भूमि घोटाले में सरकार पर बड़ा सवाल खड़ा करते हुए जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में तीखा प्रहार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस बहुचर्चित घोटाले के पीछे सरकार के ही चौथे तल (मुख्यमंत्री कार्यालय) में बैठे एक बड़े अफसर का हाथ है, जो पूरे खेल का मास्टरमाइंड है और जिसके इशारे पर यह सारा घोटाला रचा गया।
नेगी ने कहा कि सरकार ने अब तक घोटाले में शामिल अधीनस्थ अधिकारियों को तो निलंबित कर विजिलेंस जांच के आदेश दे दिए हैं, जो कि सराहनीय कदम है, लेकिन असली गुनहगार, यानी मास्टरमाइंड अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर क्यों इस महाभ्रष्ट अधिकारी को अब तक संरक्षण मिल रहा है?
40 करोड़ के नुकसान का आरोप, 54 करोड़ में खरीदी गई विवादित भूमि
नेगी ने खुलासा किया कि यह घोटाला उस वक्त अंजाम दिया गया जब कई बीघा भूमि, जो कूड़े के ढेर से सटी थी, उसका लैंड यूज़ चेंज कर रातों-रात 14 करोड़ की जमीन 54 करोड़ रुपये में खरीदी गई, जिससे सरकार को लगभग 40 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ।
उन्होंने कहा कि घोटाले की जांच आईएएस अधिकारी रणवीर सिंह चौहान की अध्यक्षता में हो चुकी है, जिसके बाद 12 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया या उनके सेवा विस्तार समाप्त कर दिए गए। बावजूद इसके, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अब तक एफआईआर दर्ज नहीं होना कई सवाल खड़े करता है।
‘दूसरों को दंड, मास्टरमाइंड सुरक्षित क्यों?’
नेगी ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए उस अधिकारी को, जो सरकार की छवि धूमिल करने में संलिप्त है, तत्काल चौथे तल से पैदल करे और उसके साथ-साथ पूरे नेटवर्क के खिलाफ सीबीआई जांच और एफआईआर की कार्रवाई सुनिश्चित करे।
पत्रकार वार्ता में दिलबाग सिंह व अतुल हांडा भी रहे मौजूद।