मोर्चा के दबाव में आई विधानसभाध्यक्ष, मोर्चा खानपुर विधायक दल-बदल प्रकरण में तीन साल बाद जारी हुआ नोटिस

मोर्चा के दबाव में आई विधानसभाध्यक्ष, मोर्चा खानपुर विधायक दल-बदल प्रकरण में तीन साल बाद जारी हुआ नोटिस

विकासनगर। (उत्तराखंड बोल रहा है)
जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता में कहा कि मोर्चा के लगातार प्रहारों के बाद आखिरकार विधानसभाध्यक्ष ऋतु खंडूरी को खानपुर विधायक दल-बदल मामले में हरकत में आना पड़ा। तीन साल से ठंडे बस्ते में डली याचिका पर विधानसभाध्यक्ष द्वारा बीते 7 मई 2025 को संबंधित विधायक और याचिकाकर्ता को शपथपत्र व साक्ष्य उपलब्ध कराने हेतु नोटिस जारी किया गया है। नेगी ने इसे मोर्चा की बड़ी जीत बताया।

नेगी ने आरोप लगाया कि विधानसभाध्यक्ष द्वारा अब तक खानपुर विधायक का संरक्षण कर प्रदेश में “माफियाराज” स्थापित करने की कोशिश की जा रही थी। उन्होंने कहा कि नवंबर 2024 में स्वयं द्वारा विधानसभाध्यक्ष और विधानसभा सचिवालय को पंजीकृत डाक से पत्र भेजकर तत्काल कार्रवाई की मांग की गई थी, लेकिन सचिवालय ने विधायक को बचाने के उद्देश्य से झूठा दावा किया कि पत्र वहां पहुंचे ही नहीं। इससे विधानसभा सचिवालय की गरिमा भी धूमिल हुई।

मोर्चा अध्यक्ष नेगी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि संबंधित विधायक पर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में लगभग 30 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें यौन शोषण, ब्लैकमेलिंग, षड्यंत्र, जबरन भूमि हड़पने और जालसाजी जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। ऐसे व्यक्ति को संरक्षण देकर विधानसभाध्यक्ष प्रदेश की जनता को धोखा दे रही हैं और अपराध को बढ़ावा दे रही हैं।

नेगी ने बताया कि 26 मई 2022 को रुड़की निवासी श्री पनियाला ने विधानसभाध्यक्ष के समक्ष याचिका दाखिल की थी, जिसमें स्पष्ट लिखा गया था कि खानपुर विधायक निर्दलीय रूप से चुने जाने के बाद पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं और अपनी क्षेत्रीय पार्टी भी बना ली है। यह आचरण दल-बदल कानून का सीधा उल्लंघन है और उनकी सदस्यता समाप्त होनी चाहिए।

नेगी ने कहा कि तीन साल बाद महज औपचारिकता के तौर पर नोटिस जारी किया गया है। नोटिस जारी हुए भी तीन महीने हो चुके हैं, लेकिन अब तक आगे की कार्रवाई का कोई संकेत नहीं है। यदि विधानसभाध्यक्ष ईमानदारी से काम करतीं, तो अब तक विधायक की सदस्यता समाप्त हो चुकी होती। उन्होंने कहा कि मामला चाहे जो भी हो, कार्रवाई करना विधानसभाध्यक्ष का संवैधानिक दायित्व है, जिसे समय पर निभाया नहीं गया।

पत्रकार वार्ता में दिलबाग सिंह व हाजी असद भी मौजूद रहे।