यूकेडी का जनहित में हुंकार प्रदर्शन: बेलगाम बसों, अतिक्रमण और लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की मांग
देहरादून/विकासनगर। पछवादून क्षेत्र की गंभीर जनसमस्याओं को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) ने आज विकासनगर तहसील परिसर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन पूरी तरह संगठित, शांतिपूर्ण और संकल्पबद्ध था, जिसका नेतृत्व यूकेडी के केंद्रीय संरक्षक सुरेन्द्र कुकरेती ने किया। इस दौरान पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी, कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
प्रदर्शन के बाद यूकेडी प्रतिनिधिमंडल ने उपजिलाधिकारी को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा, जिसमें क्षेत्र की तीन प्रमुख समस्याओं पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की मांग की गई:
❶ बेलगाम निजी बसें: यातायात नहीं, जानलेवा खतरा
ज्ञापन में बताया गया कि पछवादून क्षेत्र में सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिनका प्रमुख कारण निजी बसों का असंवेदनशील संचालन है। तेज रफ्तार, अनियंत्रित ओवरटेकिंग, बीच सड़क पर रुकना और सुरक्षा नियमों की खुली अवहेलना आम बात हो चुकी है।
यूकेडी की मांगें:
सभी चालकों के लाइसेंस और फिटनेस की अनिवार्य जांच
संवेदनशील इलाकों में गति सीमा सख्ती से लागू हो
बसों में GPS और CCTV निगरानी व्यवस्था
नियम उल्लंघन पर कड़ा जुर्माना और परमिट रद्दीकरण
❷ विकासनगर बाजार की अराजकता: अतिक्रमण और जाम से जूझते लोग
फुटपाथों पर अवैध कब्जे, सड़क किनारे अनियंत्रित पार्किंग और ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही ने विकासनगर बाजार को अव्यवस्था का पर्याय बना दिया है।
यूकेडी की मांगें:
अतिक्रमण हटाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए
संगठित पार्किंग नीति लागू हो
बाजार क्षेत्र में स्थायी पुलिस तैनाती से ट्रैफिक कंट्रोल हो
❸ सीवरेज कार्य में लापरवाही: मानसून में हादसों का खतरा
सीवरेज कार्य अधूरा, चेतावनी संकेत गायब और खुले गड्ढों से पैदल यात्रियों को खतरा बना हुआ है। बारिश के मौसम में जलभराव से हालात और बिगड़ गए हैं।
यूकेडी की मांगें:
कार्यदायी संस्था को सुरक्षा मानकों के पालन के सख्त निर्देश
कार्य की समयसीमा तय हो और समयबद्ध समीक्षा हो
स्थानीय जनप्रतिनिधियों को शामिल कर निगरानी समिति बने
सुरेन्द्र कुकरेती ने कहा: “यूकेडी सत्ता के लिए नहीं, सेवा के लिए राजनीति करती है”
केंद्रीय संरक्षक श्री सुरेन्द्र कुकरेती ने अपने भाषण में कहा,
“उत्तराखंड की जनता ने यह राज्य बलिदानों से पाया है — और हम इसे अव्यवस्था, लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़ने देंगे।
यदि प्रशासन ने समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं किया, तो यूकेडी सड़क से सदन तक संघर्ष करने को बाध्य होगी।”
प्रदर्शन में देवेंद्र कंडवाल, मनोज कंडवाल, गणेश प्रसाद काला, भूपेंदर सिंह नेगी, मायाराम ममगाई, जयकृष्ण सेमवाल सहित सैकड़ों पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे। महिला प्रकोष्ठ की उपाध्यक्षा बीना पंवार और अनेक महिला कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी ने प्रदर्शन को और भी प्रभावशाली बनाया।
निष्कर्ष:
यूकेडी का यह आंदोलन जनभावनाओं की अभिव्यक्ति था, जिसने प्रशासन को यह स्पष्ट संकेत दिया है कि यदि जनसमस्याओं की अनदेखी की गई, तो जनता और जनप्रतिनिधि मिलकर संविधानिक तरीके से बड़ा आंदोलन करेंगे।
✍ रिपोर्ट — उत्तराखंड बोल रहा है