सीबीआई को हरक-उमेश-मदन मामले में क्यों सूंघ गया सांप मोर्चा!
जन संघर्ष मोर्चा का केंद्र सरकार पर बड़ा हमला — “सीबीआई बन चुकी है सत्ता की कठपुतली”
विकासनगर।15, अक्टूबर (उत्तराखंड बोल रहा है)
जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने तीखे शब्दों में कहा कि हरक सिंह रावत, उमेश शर्मा और मदन बिष्ट जैसे ब्लैकमेलरों पर सीबीआई की चुप्पी यह साबित करती है कि अब यह एजेंसी सत्ता के इशारों पर नाचने वाली कठपुतली बन चुकी है।

नेगी ने बताया कि वर्ष 2016 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार का स्टिंग इन तीनों द्वारा पूरी सोची-समझी साजिश के तहत किया गया था। इस स्टिंग का उद्देश्य जनहित नहीं बल्कि मोटी डील और राजनीतिक अस्थिरता पैदा करना था। मोर्चा ने इसी सिलसिले में इन तीनों के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर मांग की थी कि जब हरीश रावत सरकार की सीबीआई जांच हो सकती है तो स्टिंग करने वालों की जांच क्यों नहीं?

मोर्चा की इस याचिका पर मा. उच्च न्यायालय ने अगस्त 2018 में आदेश दिया था कि हरक सिंह रावत, उमेश शर्मा और मदन बिष्ट — तीनों को भी सीबीआई जांच के दायरे में लाया जाए। अदालत के आदेश पर सीबीआई ने 23 अक्टूबर 2019 को दिल्ली में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया, मगर चौंकाने वाली बात यह है कि छह साल बीत जाने के बावजूद एजेंसी ने ना कोई पूछताछ पूरी की, ना ही जांच आगे बढ़ी।

नेगी ने तीखे शब्दों में कहा —
“सीबीआई सिर्फ बुलावा भेजती है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर शून्य है! आखिर ऐसा क्यों? क्या सीबीआई केंद्र सरकार की कठपुतली बन चुकी है या फिर सिर्फ विरोधियों पर शिकंजा कसने का औजार?”
मोर्चा ने केंद्र सरकार से तीखी मांग की है कि
“सीबीआई को इन तीनों ब्लैकमेलरों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने और जांच में तेजी लाने के लिए तत्काल निर्देशित किया जाए। कोई कितना भी बड़ा नेता या अधिकारी हो, मोर्चा के चाबुक से नहीं बच सकता।”
इस मौके पर मोर्चा महासचिव आकाश पंवार और दिलबाग सिंह भी मौजूद रहे।
🗯️ मुख्य सवाल जो सीबीआई से पूछ रहा है मोर्चा:
6 साल से क्यों खेल रही है सीबीआई लुका-छुपी का खेल?
हरीश रावत स्टिंग का सच क्या सिर्फ एक राजनीतिक सौदा था?
क्या भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई सिर्फ चयनित लोगों के लिए होती है?
क्या अब सीबीआई जनता की नहीं, सत्ता की एजेंसी बन चुकी है?
