विधायकों को पेंशन तो प्रधानों को क्यों नहीं ?

प्रदेश में दो-दो विधान आखिर क्यों : रघुनाथ सिंह नेगी

जब विधायकों ने प्रदेश को कंगाल बनाने की ठान ही ली है तो फिर इनको भी पेंशन का मिले लाभ

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि प्रदेश के विधायक पेंशन व वेतन- भत्तों का लाभ उठा रहे हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर पंचायत में जनप्रतिनिधि के तौर पर कार्य कर रहे जिला पंचायत सदस्य,बीडीसी सदस्य, प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य इनको भी भी पेंशन का लाभ मिलना चाहिए | इसके साथ-साथ ग्राम प्रधान व उप प्रधान को छोड़कर सभी पंचायत प्रतिनिधियों को वेतन- भक्तों का भी लाभ मिलना चाहिए ,प्रधान व उप प्रधान को पूर्व से ही नाम मात्र का वेतन मिलता है अन्य पंचायत प्रतिनिधियों को कोई वेतन नहीं मिलता| इस प्रकार समस्त पंचायत प्रतिनिधियों पेंशन, वेतन- भत्तों का लाभ मिलना चाहिए | प्रदेश में दो-दो विधान कैसे हो सकते हैं | नेगी ने तंज कसते हुए कहा कि वर्तमान में प्रदेश पर लगभग 80-90 हजार करोड़ की उधारी चल रही है ,बावजूद इसके विधायकों पर पैसा लुटाया जा रहा है | जब इन महान विधायकों/ मंत्रियों – सरकार ने प्रदेश को कंगाल करने की ठान ही ली है तो इन पंचायत/ नगर निकाय प्रतिनिधियों को भी सारी सुविधाएं देकर थोड़ा- बहुत कर्ज और हो जाने दिया जाये | दुर्भाग्य की बात है कि प्रत्येक विधायक को लगभग 4-5 करोड रुपए निधि और उसमें भी कमीशनखोरी,क्षेत्र के विकास कार्यों में ठेकेदारी व अवैध कारोबार के बावजूद भी इनका हाजमा नहीं बिगाड़ रहा ! जनता दाने-दाने को मोहताज है, लेकिन इन विधायकों का मन नहीं पसीज रहा | मोर्चा ने पंचायत एवं नगर निकाय प्रतिनिधियों से आवाह्न किया कि अपने पेंशन, वेतन- भत्तों के लिए सड़कों पर उतर कर संघर्ष करें ,मजबूरन सरकार को इन महान विधायकों की पेंशन बंद करनी पड़ेगी या फिर आपको भी पेंशन, वेतन -भत्ते देने पड़ेंगे | पत्रकार वार्ता में-मोर्चा महासचिव आकाश पंवार,दिलबाग सिंह, विजयराम शर्मा व विनयकांत नौटियाल मौजूद थे |