केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को लोकसभा में विचार और पारित करने के लिए प्रस्तुत किया। यह विधेयक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा प्रस्तावित किया गया था और वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रशासन, प्रौद्योगिकी आधारित प्रबंधन, जटिलताओं को हल करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।
97 लाख से अधिक याचिकाएं और ज्ञापन प्राप्त हुए
रिजिजू ने बताया कि संयुक्त संसदीय समिति द्वारा किया गया परामर्श भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा अभ्यास था। इस दौरान 97.27 लाख से अधिक याचिकाएं और ज्ञापन प्राप्त हुए, जिन्हें समिति ने भली-भांति समीक्षा करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की।
वक्फ संपत्तियों पर प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर महत्वपूर्ण बदलाव
विधेयक के अनुसार, अब किसी भी कानून के तहत बनाए गए मुस्लिम ट्रस्ट को वक्फ नहीं माना जाएगा, जिससे ट्रस्टों पर पूर्ण नियंत्रण सुनिश्चित होगा। इसके अलावा, केवल वे मुस्लिम ही अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकेंगे जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे हों।
महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए प्रावधान किया गया है कि वक्फ घोषित करने से पहले उन्हें उनकी संपत्ति में उत्तराधिकार मिलना चाहिए। विधवा, तलाकशुदा महिलाएं और अनाथों के लिए विशेष प्रावधान जोड़े गए हैं।
वक्फ संपत्ति विवादों का निपटारा अब सरकारी अधिकारियों द्वारा
सरकारी संपत्तियों पर वक्फ का दावा करने के मामलों में अब जिलाधिकारी स्तर से ऊपर के अधिकारी जांच करेंगे। यदि विवाद उत्पन्न होता है, तो अंतिम निर्णय वरिष्ठ सरकारी अधिकारी द्वारा लिया जाएगा, जबकि वर्तमान में यह अधिकार वक्फ ट्रिब्यूनल के पास है।
विधेयक में यह भी प्रस्तावित किया गया है कि वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा ताकि समावेशिता बनी रहे।
सरकार का विपक्ष पर पलटवार
विपक्षी दलों के विरोध के बीच रिजिजू ने स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी धार्मिक संस्थान में हस्तक्षेप नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार द्वारा वक्फ कानून में किए गए संशोधनों ने इसे अन्य कानूनों पर वरीयता दी थी, जिसके कारण नए संशोधनों की जरूरत पड़ी।
इससे पहले, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने विपक्ष की इस आपत्ति को खारिज कर दिया कि सरकार को संशोधित विधेयक में नए प्रावधान जोड़ने का अधिकार नहीं है।
लंबी चर्चा के बाद लाया गया विधेयक
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक विस्तृत परामर्श प्रक्रिया के बाद प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने बताया कि इसे पहली बार अगस्त 2024 में पेश किया गया था और उसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया, जिसने इस पर गहन विचार-विमर्श किया।
शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि “यह लोकतांत्रिक समिति है, यह कांग्रेस की बनाई समिति की तरह काम नहीं करती, बल्कि उचित प्रक्रिया और परामर्श का पालन करती है।”