1 जनवरी को Shani धाम में होगी “शनि की पाताल पूजा”
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से करीब 45KM की दूरी पर एक ऐसा धाम स्थित है जहां “शनि की पाताल पूजा” का आयोजन होता है। यह विशेष पूजा साल के प्रथम माह यानी जनवरी के पहले और दूसरे शनिवार को होती है।
इस विशेष पूजा में शनि जनित दोषों को पाताल ग्रस्थ किया जाता है। यह एक विशिष्ट पूजा है, जो आश्रम के योग्य ब्राह्मणों के सानिध्य मे होती है। इस बार पूजा 1 जनवरी को होगी।
शनि जनित दोष होंगे पातालग्रस्त
पीठाधीश्वर डॉ. विनायक बडोनी ने बताया कि विगत दशक से श्री श्री शनिधाम आश्रम में वर्ष के प्रथम शनिवार को शनि की पाताल पूजा की परम्परा रही है। इस दिन शनिधाम के योग्य पंडितों द्वारा शनि जनित दोषों को पातालग्रस्त किया जाता है। विश्व में यह धाम एकमात्र स्थान है, जहाँ शनि की विधिसम्मत पाताल पूजा की जाती है।
सभी राशियों के जातकों की होती है अलग पूजा
बारह ऱाशियों के जातकों की बारह विधियों से पातालपूजा एक सैद्धान्तिक पूजा होती है। मेष राशी के जातकों की तर्जनी साधना, वृष राशी के जातकों की मध्यमा साधना, मिथुन राशी के जातकों की अनामिका साधना, कर्क राशी के जातकों की कनिष्ठिका साधना, सिंह राशी के जातकों की अंगुष्ठ साधना, कन्या राशी के जातकों की करतल साधना, तुला राशी के जातकों की करपृष्ठ साधना, वृश्चिक राशी के जातकों की पंचांगुली साधना, धनु राशी के जातकों की नेत्र साधना, मकर राशी के जातकों की कर्ण साधना, कुम्भ राशी के जातकों की नासिका साधना एवं मीन राशी के जातकों की सर्वांग साधना के द्वारा शनि जनित दोषों को पाताल ग्रस्त करने की अनूठी पूजन परम्परा केवल शनिधाम आश्रम विकासनगर देहरादून उत्तराखंड में ही की जाती है। क्योंकि यह पूजा केवल कुछ ही भक्तजनों की होती है, इसलिए भक्त अपना अग्रिम पॅजीकरण करा लें।
इस साल 151 भक्त ही कर सकेंगे प्रतिभाग
इस वर्ष पूजा के लिए 151 भक्तों की संख्या निर्धारित की गई है। पूजा में सम्मिलित होने वाले भक्तों को लाल धोती पहनना अनिवार्य है। वस्त्र और पूजन सामग्री आश्रम से ही उपलब्ध कराई जाएगी।