अपनों की गद्दारी की वजह से कांग्रेस () सहसपुर विधान सभा चुनाव (Vidhan Sabha Elections 2022) में बीते दो विधान सभा चुनाव हार गई। इस बार भी हालत कुछ ऐसे ही हैं। ऐसे में सिर्फ एका (एकता) में ही कांग्रेस की जीत का मंत्र छिपा है।
आर्येंद्र, गुलजार, लक्ष्मी बगावत कर लड़ चुके हैं चुनाव
विधान सभा चुनाव 2022 के लिए फिर से आर्येंद्र शर्मा ने ताल ठोकी है। वे वर्तमान में कांग्रेस प्रदेश कमेटी के कोषाध्यक्ष हैं और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के बेहद ही करीबी माने जाते हैं। वहीं दूसरी ओर उनकी पूर्व मुख्यमंत्री और चुनाव संचालन समिति के चेयरमैन हरीश रावत से राजनीतिक बैर किसी से छिपा नहीं है। विधान सभा चुनाव 2017 में उनका बागी होना कांग्रेस की नैया को डूबा गया था। यहां से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को हार का मुंह देखना पड़ा था।
एक बार फिर आर्येंद्र ने मजबूती के साथ टिकट का दावा ठोका है, लेकिन विधान सभा चुनाव में उनके राजनीति विरोधी उनका खुलेआम विरोध कर रहे हैं। विरोधियों का साफ कहना है कि टिकट स्थानीय को ही मिलना चाहिए। पूर्व जिला पंचायत सदस्य राकेश नेगी, गुलजार, लक्ष्मी अग्रवाल, विनोद चौहान ने आर्येंद्र शर्मा के विरोध में एक मंच बनाया हुआ है। विरोध में दिल्ली की कई बार दौड़ लगा चुके हैं।
विधान सभा चुनाव 2012 की बात करें तो तब आर्येंद्र शर्मा कांग्रेस के टिकट में चुनाव लड़े थे। तब लक्ष्मी अग्रवाल और गुलजार ने बगावत करते हुए चुनाव लड़ा और इसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ा और आर्येंद्र शर्मा चुनाव हार गए। सहसपुर कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती हैं, लेकिन यहां अपने ही कांग्रेस को दर्द दे जाते हैं।
कांग्रेस की भी मजबूरी है कि इन बागियों को हर बार फिर से कांग्रेस में वापस लेना पड़ता है। ऐसे में अब फिर से कांग्रेस हाईकमान के लिए टिकट फाइनल करना किसी चुनौती से कम नहीं है। यदि सभी में एका होती है तो कांग्रेस की जीत की उम्मीद कई गुना बढ़ जाती है।