शहर में प्रशासन की ताबड़तोड़ छापेमारी ने एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। बुक डिपो पर की गई इस कार्रवाई में जीएसटी चोरी के साथ-साथ बिना इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बुक नंबर (आईएसबीएन) वाली किताबों की बिक्री का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इस सख्त कदम से बुक डिपो संचालकों और स्कूल प्रबंधकों में खलबली मच गई है।
फर्जीवाड़े का खेल: नकली आईएसबीएन और मनमानी कीमतें
जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में नेशनल बुक हाउस, ब्रदर बुक डिपो और एशियन बुक डिपो पर छापा मारा गया। जांच में सामने आया कि इन दुकानों में 20 से ज्यादा किताबें बिना आईएसबीएन नंबर के बेची जा रही थीं। कई किताबों पर या तो आईएसबीएन दर्ज ही नहीं था या फिर फर्जी नंबर छापे गए थे। ये किताबें स्कूली शिक्षा से जुड़े विषयों की थीं, जिससे संदेह बढ़ गया है कि देहरादून में नकली या चहेते प्रकाशकों की किताबें ऊंचे दामों पर बेची जा रही हैं।
आईएसबीएन एक यूनिक कोड होता है, जो किताब के लेखक, प्रकाशक, शीर्षक, कीमत और पेजों की जानकारी देता है। पहले यह 10 अंकों का होता था, लेकिन 2007 के बाद इसे 13 अंकों में बदला गया।
स्कूलों की संलिप्तता पर उठे सवाल
क्रॉस रोड के एशियन बुक डिपो में दून कैंब्रिज स्कूल और सनराइज एकेडमी की नोटबुक्स बिक्री के लिए रखी मिलीं। इससे यह शक गहराया है कि कुछ स्कूल अभिभावकों पर दबाव डालकर खास दुकानों से किताबें खरीदवा रहे हैं।
जब्त किताबों की सूची
- नेशनल बुक हाउस (डिस्पेंसरी रोड):
जूलियस सीजर गाइड, साहित्य सागर, हिंदी व्याकरण गरिमा, एकांकी संचय, ट्रेजर चेस्ट (कक्षा 9 व 10), ट्रेजर चेस्ट नोट्स (कक्षा 9 व 10)। - एशियन बुक डिपो (क्रॉस रोड):
साहित्य सागर अभ्यास, केमेस्ट्री लैब मैनुअल, वसुधा, जावा मेड सिंपल। - ब्रदर बुक डिपो (सुभाष रोड):
एकांकी संचय, ट्रेजर चेस्ट (कक्षा 9 व 10), जूलियस सीजर वर्क बुक, आनंदम संस्कृत पाठ्य पुस्तक, द एसेंस ऑफ लाइफ मोरल वैल्यू।
कानूनी शिकंजा: एफआईआर और जांच तेज
जिलाधिकारी सविन बंसल ने सख्ती दिखाते हुए तीन बुक डिपो—यूनिवर्सल बुक डिपो, नेशनल बुक डिपो और ब्रदर पुस्तक भंडार—के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए हैं। इन दुकानों से ऐसी किताबें बरामद हुईं, जिनके आईएसबीएन नंबर वैध नहीं थे। बिल बुक भी जब्त की गईं और गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया। डीएम ने संकेत दिया कि अब निजी स्कूलों की भूमिका की भी पड़ताल होगी। बीएनएस की धारा 318(2), 336(2), और 349 के तहत तीन अलग-अलग मामले दर्ज हुए हैं।
बुक डिपो संचालकों में दहशत
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शुरू हुई इस मुहिम से बुक डिपो संचालक सहमे हुए हैं। शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की सख्ती से अब अन्य स्कूलों और दुकानों की भी जांच हो सकती है। यह कार्रवाई शिक्षा माफिया और टैक्स चोरी करने वालों के लिए सख्त चेतावनी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस अभियान में और कौन-कौन निशाने पर आता है।