देहरादून। गंभीर अपराधों की जांच में गुणवत्ता, पारदर्शिता और समयबद्धता को लेकर पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड श्री दीपम सेठ ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों, गढ़वाल एवं कुमाऊं रेंज के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक का मुख्य उद्देश्य विवेचना की गुणवत्ता में सुधार, न्यायालयीय निर्देशों का अनुपालन और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करना रहा।
डीजीपी ने कहा कि सीमित संसाधनों, जनशक्ति की कमी, कानून व्यवस्था और आपदा प्रबंधन जैसी प्राथमिकताओं के बीच विवेचना की गुणवत्ता को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है, जिसे समय प्रबंधन और सतत पर्यवेक्षण के जरिए ही पूरा किया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि थानों से लेकर कप्तानों तक की जवाबदेही तय की जाएगी।
डीजीपी के निर्देश और महत्वपूर्ण बिंदु:
🔹 विवेचना की गुणवत्ता और पारदर्शिता बनाए रखने हेतु वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा चार्जशीट, जांच रिपोर्ट व फाइनल रिपोर्ट की नियमित समीक्षा अनिवार्य।
🔹 जांच प्रक्रिया में वैज्ञानिक साक्ष्य, वीडियोग्राफी, इन्वेस्टिगेशन प्लान और अभियोजन समन्वय को अनिवार्य किया जाए।
🔹 3000 विवेचकों को चरणबद्ध प्रशिक्षण देकर नए आपराधिक कानूनों, महिला एवं बाल अपराध, NDPS और साइंटिफिक इन्वेस्टिगेशन की जानकारी दी जाएगी।
🔹 सभी जिलों में साप्ताहिक अपराध समीक्षा की कार्ययोजना क्षेत्राधिकारी और अपर पुलिस अधीक्षक स्तर तक बनेगी।
🔹 OR मीटिंग के माध्यम से विवेचकवार गहन समीक्षा सुनिश्चित हो और जनपद क्राइम मीटिंग में कोर्ट के निर्देशों को साझा किया जाए।
🔹 मुख्यालय से तय SOPs को नए कानूनों के अनुसार अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू की जाए।
समीक्षा में उभरी चिंता और समाधान की दिशा
डीजीपी ने बैठक में स्पष्ट किया कि विवेचना की गुणवत्ता सिर्फ विवेचक की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि थानाध्यक्ष, क्षेत्राधिकारी और एएसपी स्तर के अधिकारियों की भी साझा जवाबदेही है। उन्होंने निर्देश दिया कि जिन जनपदों में मुख्यालय के निर्देशों का पालन नहीं होगा, वहां संबंधित अधिकारियों से जवाब लिया जाएगा।
मुख्यालय स्तर पर मौजूद उच्च अधिकारियों ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए विवेचना में सुधार के लिए तकनीकी, प्रशिक्षण और संगठनात्मक उपाय सुझाए। जनपद प्रभारियों ने भी स्थानीय स्तर पर आ रही चुनौतियों और प्रस्तावित समाधानों को बैठक में रखा।
डीजीपी का संदेश: “निष्पक्ष पुलिसिंग और पेशेवर दक्षता ही उत्तराखंड पुलिस की पहचान बने”
बैठक के अंत में डीजीपी ने कहा कि “पुलिसिंग एक निरंतर चुनौती है, जिसमें हमें हर परिस्थिति में निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ कार्य करते हुए एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करना है जिससे जनता में विश्वास और संस्थागत मजबूती दोनों सुनिश्चित हो।”
यह बैठक उत्तराखंड पुलिस की विवेचनात्मक प्रणाली को अधिक सुदृढ़, जवाबदेह और न्यायोचित बनाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।