प्रकृति हमारी संस्कृति और शक्ति है: विश्व पर्यावरण दिवस पर उत्तराखंड में अद्वितीय पहल 🌿
मुख्य सेवक सदन, देहरादून में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण आयोजन हुआ, जहां प्रकृति संरक्षण की दिशा में कार्य करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को सुंदर लाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार-2025 से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार न केवल उनके प्रयासों को मान्यता देता है, बल्कि समाज को प्रेरित करता है कि वे भी प्रकृति के लिए कुछ करें।
मुख्य सेवक द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जागरूकता पोस्टर का विमोचन और इको टूरिज्म कॉरपोरेशन के डिजिटल पोर्टल का शुभारंभ किया गया — यह उत्तराखंड को हरित पर्यटन की ओर एक नई दिशा देगा।

कार्यक्रम की शुरुआत में छात्रों और नागरिकों के साथ मिलकर पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली गई और प्लास्टिक मुक्त उत्तराखंड के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया गया, जिसने जनभागीदारी की एक नई मिसाल पेश की।
🌱 “बुके नहीं, बुक दें” — एक पर्यावरण प्रेमी अपील
मुख्य सेवक ने प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि वे जन्मदिन, सालगिरह या अन्य जीवन के महत्वपूर्ण अवसरों पर पौधारोपण करें और “बुके नहीं, बुक दें” जैसे अभियानों को अपनाकर भावी पीढ़ी के लिए हरित और सुरक्षित भविष्य की नींव रखें।
उत्तराखंड के वनों को वन्यजीवों के लिए समृद्ध बनाए रखने हेतु हर वन प्रभाग में 1000 फलदार वृक्ष लगाने की योजना भी घोषित की गई। यह पहल वन्य जीवों को जंगलों में ही पर्याप्त आहार उपलब्ध कराने की दिशा में एक ठोस कदम है।

🌳 “एक पेड़ मां के नाम” — मातृभूमि और मातृप्रेम का संगम
प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi द्वारा शुरू किए गए “एक पेड़ मां के नाम” अभियान को आगे बढ़ाते हुए, कार्यक्रम में प्रत्येक नागरिक से अपील की गई कि वे अपनी मां के सम्मान में एक पेड़ लगाएं। यह न केवल मातृप्रेम का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का प्रभावशाली माध्यम भी है।
♻️ संदेश स्पष्ट है:
“प्रकृति हमारी संस्कृति और शक्ति है।”
इसे बचाना, संवारना और आगे बढ़ाना हम सभी की जिम्मेदारी है।