विधानसभा अध्यक्ष का दुराचारी विधायक का बचाव माफियाराज को संरक्षण देने जैसा: जन संघर्ष मोर्चा
दल-बदल मामले में विधानसभाध्यक्ष की चुप्पी प्रदेश को कर रही शर्मसार: नेगी
जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने प्रेसवार्ता में कहा कि विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खंडूरी द्वारा खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार के दल-बदल मामले में बचाव करना किसी आपराधिक षड्यंत्र से कम नहीं है।
उन्होंने कहा कि उक्त विधायक पर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में लगभग 30 संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें यौन शोषण, ब्लैकमेलिंग, धोखाधड़ी, भूमि कब्जा, षड्यंत्र जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। ऐसे व्यक्ति को संरक्षण देकर विधानसभा अध्यक्ष न केवल संविधान की अवहेलना कर रही हैं, बल्कि प्रदेश की जनता को भी गुमराह कर रही हैं।
नेगी ने आगे बताया कि इस विषय में मा. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री राकेश थपलियाल पूर्व में स्वतः संज्ञान ले चुके हैं, वहीं हाल ही में मा. सर्वोच्च न्यायालय ने भी विधानसभा अध्यक्षों द्वारा ऐसे मामलों में निर्णय न लेने पर कड़ी नाराजगी जताई है।
तीन वर्ष से लटका दल-बदल मामला, मौखिक आदेश से रोकी गई कार्रवाई
नेगी ने बताया कि दिनांक 26 मई 2022 को श्री पनियाला (रुड़की निवासी) द्वारा विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष विधायक उमेश कुमार पर दल-बदल का आरोप लगाते हुए सदस्यता रद्द करने की याचिका दायर की गई थी। साथ ही जन संघर्ष मोर्चा ने भी इस विषय पर तत्काल कार्रवाई की मांग की थी।
आरोप है कि उक्त विधायक निर्दलीय निर्वाचित होने के बाद पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर व बाद में अपनी क्षेत्रीय पार्टी बनाकर खुलेआम दल-बदल कानून का उल्लंघन कर चुके हैं। बावजूद इसके, तीन वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई निर्णय नहीं लिया गया, और विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों-कर्मचारियों को मौखिक आदेश देकर कार्रवाई से रोका गया।

“क्या किसी दबाव में हैं विधानसभा अध्यक्ष?” – नेगी का सवाल
नेगी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष की चुप्पी, निष्क्रियता और अनदेखी यह संकेत देती है कि कहीं न कहीं किसी दबाव, सौदेबाज़ी या भय की स्थिति हो सकती है। यदि वे स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की स्थिति में नहीं हैं, तो उन्हें नैतिक आधार पर तत्काल इस्तीफा देना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि श्रीमती खंडूरी अपने पिता जनरल खंडूरी जी जैसे अनुशासन और नैतिकता के आदर्शों से सीख नहीं ले सकीं। पूर्व में कई विधायकों को दल-बदल के चलते इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन इस मामले में इतनी लंबी चुप्पी और फाइलें सरकाने का ड्रामा दुर्भाग्यपूर्ण है।
जन संघर्ष मोर्चा ने भेजी लानत, की इस्तीफे की मांग
नेगी ने कहा कि प्रदेश की गरिमा की रक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों की बहाली के लिए विधानसभा अध्यक्ष को तत्काल इस मामले में निर्णय लेना चाहिए – निर्णय कुछ भी हो, लेकिन टालना संविधान की अवहेलना है।
मोर्चा इस गैर-जिम्मेदाराना एवं प्रदेश की छवि को कलंकित करने वाले कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए विधानसभा अध्यक्ष से इस्तीफे की मांग करता है।
इस अवसर पर ठाकुर भाग सिंह एवं प्रवीण शर्मा ‘पिन्नी’ भी उपस्थित थे।
