उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों को “शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार” से सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने इस पुरस्कार की राशि को ₹10,000 से बढ़ाकर ₹20,000 करने की घोषणा की, जिससे शिक्षकों को और अधिक प्रोत्साहन मिल सके।
मुख्यमंत्री धामी ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षक दिवस का यह अवसर शिक्षकों के प्रति आदर, सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का है। यह दिन उन शिक्षकों को धन्यवाद देने का दिन है जिन्होंने अपने अनुभव और मार्गदर्शन से छात्रों के जीवन को आकार दिया है। उन्होंने कहा, “भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोच्च माना गया है। हमारी प्राचीन परंपरा में गुरु को न केवल शिक्षक के रूप में देखा गया है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन करने वाला माना गया है। गुरु अज्ञानता के अंधकार को दूर करते हैं।”
मुख्यमंत्री ने शास्त्रों का उल्लेख करते हुए कहा, “शास्त्रों में भी कहा गया है कि ‘गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा; गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम:’। शिष्य की पहचान गुरु से होती है। रामायण काल हो या महाभारत, हर कालखंड में गुरु का स्थान सर्वोच्च रहा है।”
उन्होंने आगे कहा कि गुरु का कार्य केवल शिक्षा देना ही नहीं है, बल्कि छात्रों के व्यक्तित्व का निर्माण करना भी है। आज के समय में नैतिक शिक्षा की आवश्यकता है, और इस दिशा में गुरु का महत्वपूर्ण योगदान है। मुख्यमंत्री ने उन 19 शिक्षकों की सराहना की जिन्हें इस वर्ष पुरस्कार से सम्मानित किया गया और कहा कि वे अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक के इस दौर में भी एक शिक्षक ही वह कड़ी है जो छात्रों को सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों से जोड़ने का कार्य करते हैं। राज्य के विकास और नौनिहालों के भविष्य निर्माण में शिक्षकों के योगदान को कम नहीं आंका जा सकता।